कमजोर इम्यूनिटी वाले अपनाएं शाकाहार, डायबिटीज से कैंसर तक के खतरे से है बचाता
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उल्लेखनीय है कि पश्चिम के पूर्ण विकसित जनसमुदाय ने भी शाकाहार को अपनाकर इसके महत्व को माना है। यूरोप में शुद्ध शाकाहारी लोगों की संख्या धीरे-धीरे बढ़ रही है।
रेणु जैन। कोरोना वायरस के खतरे से दुनिया भर के लोग आज दहशत में हैं। देश-दुनिया की तमाम संबंधित संस्थाएं और चिकित्सा क्षेत्र से जुड़े लोग इस बीमारी की दवा या इससे बचाव का मुकम्मल रास्ता तलाश रहे हैं। इसी बीच अमेरिकन कॉलेज ऑफ कॉर्डियोलॉजी की एक ताजा रिपोर्ट में यह कहा गया है कि स्वस्थ रहना हो तो शाकाहारी बनिए। माना जा रहा है कि कोरोना वायरस चमगादड़ के सेवन से इंसानों में फैला। इससे सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि मांसाहारी होना कितना घातक हो सकता है।
शरीर की प्रतिरोधी क्षमता बढ़ती है : इसके अलावा बीते पांच वर्षो के दौरान 33 देशों के कुल 76 हजार लोगों पर किए गए एक सर्वे की रिपोर्ट बताती है कि भारत में पेट की बीमारियों की भयावहता अन्य देशों के मुकाबले कुछ कम है। इसके अलावा भारत के सांस्कृतिक और आध्यात्मिक संस्कार भी मजबूत हैं। कहा भी जाता है कि मानसिक शांति शरीर को मजबूत बनाती है तथा इससे शरीर की प्रतिरोधी क्षमता बढ़ती है। शायद यही कारण है कि चीन, जिसे इस वायरस का उद्गम स्थल माना जा रहा है, वहां शाकाहार के प्रति उत्सुकता जगी है। ‘ब्लूमबर्ग’ की एक रिपोर्ट के मुताबिक चीन अब शाकाहारी अंडों के उत्पादन में दिलचस्पी ले रहा है। कोरोना फैलने के बाद इसकी मांग में तेजी आई है।
भोजन में मांसाहार को तवज्जो देने वाले लोग भी मानने लगे : भारत शाकाहार का जन्मस्थल रहा है। मशहूर वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टाइन ने कहा था कि धरती पर जीवन को बनाए रखने में कोई भी चीज मनुष्य को इतना फायदा नहीं पहुंचाएगी जितना शाकाहार का विकास। कुछ समय पहले तक यह मान्यता थी कि मांसाहार से शरीर तंदुरुस्त रहता है, लेकिन अब यह धारणा बदलने लगी है। भोजन में मांसाहार को तवज्जो देने वाले लोग भी मानने लगे हैं कि मांसाहार स्वास्थ्य पर विपरीत असर डालता है। इसलिए दुनिया के कई देशों में शाकाहार को प्राथमिकता दी जाने लगी है। शाकाहार के पक्ष में दुनिया भर में माहौल तेजी से बनने लगा है। ‘फ्रेंड्स ऑफ अर्थ’ नामक संस्था के मुताबिक दुनिया भर में मात्र पचास करोड़ लोग पूरी तरह से शाकाहारी हैं। दुनिया में तीन तरह का भोजन करने वाले लोग हैं। पहले वे जो मांसाहारी हैं, दूसरे वे जो शाकाहारी हैं, और तीसरे वीगन, जो जानवरों से प्राप्त होने उत्पाद जैसे दूध, पनीर आदि का भी सेवन नहीं करते हैं।
अमेरिका की नेशनल एकेडमी ऑफ साइंस की स्टडी के मुताबिक अगर शाकाहार को भोजन में ज्यादा से ज्यादा जगह दी जाए तो दुनिया में हर साल होने वाली 50 लाख मौतों को टाला जा सकता है। यह आम धारणा है कि मांसाहारी लोगों की तुलना में शाकाहारी लोगों में मोटापे का खतरा एक-चौथाई ही रह जाता है। दुनिया भर में शाकाहार को बढ़ावा देने वाली संस्था ‘पेटा’ के मुताबिक मांसाहार के लिए पशुओं की आपूर्ति में बड़े पैमाने पर खाद्यान्न तथा पानी की जरूरत होती है। संयुक्त राष्ट्र ने भी अपनी एक रिपोर्ट में कहा था कि जलवायु परिवर्तन को रोकने, प्रदूषण कम करने, जंगलों का विनाश रोकने और दुनिया भर में भुखमरी को खत्म करने के लिए वैश्विक स्तर पर शाकाहारी भोजन को अपनाया जाना जरूरी है।
डायबिटीज से पीड़ित लोग शाकाहार अपनाकर नियंत्रण पा सकते हैं : भारत में हृदय से जुड़ी बीमारियों, डायबिटीज तथा कैंसर के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं और इसका सीधा संबंध मांस, अंडे व डेयरी उत्पादों जैसे मक्खन, पनीर आदि की बढ़ती खपत से है। टाइप टू डायबिटीज से पीड़ित लोग शाकाहार अपनाकर इस बीमारी पर नियंत्रण पा सकते हैं। शाकाहारी खाने से कोलेस्ट्रॉल नहीं बढ़ता। शाकाहार में बहुत कम वसा होती है तथा यह कैंसर के खतरे को 40 फीसद तक कम करता है। मनुष्य के शरीर के लिए ऊर्जा शक्ति एवं पोषण हेतु प्रोटीन, शर्करा, वसा, विटामिन, खनिज एवं रेशे आदि उचित अनुपात में अत्यंत जरूरी हैं। शाकाहार में सभी पौष्टिक तत्व पर्याप्त मात्र में विद्यमान होते हैं, जो तमाम बीमारियों से लड़ने में क्षमताएं बढ़ाते हैं।
उल्लेखनीय है कि पश्चिम के पूर्ण विकसित जनसमुदाय ने भी शाकाहार को अपनाकर इसके महत्व को माना है। यूरोप में शुद्ध शाकाहारी लोगों की संख्या धीरे-धीरे बढ़ रही है। कई चर्चित हस्तियां शाकाहारी भोजन को सेहतमंद जीवन की कुंजी मानती हैं। कहा जा सकता है कि कोरोना जैसे वायरस से लड़ने के लिए शाकाहार मनुष्य की सेहत के लिए उपयोगी सिद्ध हो सकता है। इसके अलावा शाकाहार जलवायु संरक्षण और जैव विविधता के लिए भी आवश्यक है। शाकाहार को बढ़ावा देना न केवल जीव-जंतुओं के प्रति संवेदनशीलता दर्शाना है, बल्कि प्रकृति और पर्यावरण का संरक्षण करना भी है। चूंकि शाकाहार से इंसान की सेहत अपेक्षाकृत सही रहती है, इसलिए यह उत्पादकता और अर्थव्यवस्था के लिए भी लाभदायक है।