Who is responsible for Corona’s ‘conspiracy’? Sino-US are accusing each other

General News Health Services

कोरोना की ‘साजिश’ का जिम्मेदार कौन? चीन-अमेरिका एक दूसरे पर लगा रहे आरोप

Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!

चीन की सरकार और रूस की मीडिया इस वायरस को अमेरिकी साज़िश बताने के लिए जो तर्क दे रहे हैं, उससे अमेरिका बैकफुट पर है. अब तक खुद अमेरिका कोरोना को चीनी लैब से निकला वायरस साबित करने में जुटा था. मगर अब इन तमाम दावों के बाद वो दुनिया और अपने मुल्क की जनता को ये समझाने में लगा है कि इन अफवाहों में ना आएं.

चीन से लेकर अमेरिका. रूस से लेकर ईरान तक. और अब तो भारत समेत आधी दुनिया लॉक डाउन है. शहर तो शहर देश के देश सन्नाटे में डूबे हैं. अजीब माहौल और मंज़र है पूरी दुनिया का. ऐसी महामारी इससे पहले कभी नहीं देखी गई. ये अभी और भी ख़ौफनाक हो सकती है, अगर वक्त रहते बचाव के कदम नहीं उठाए गए और इस कोरोना वायरस की वैक्सीन जल्दी नहीं बनी तो. ये वैक्सीन सबसे पहले कौन बनाता है किस देश से आता है ये तो अभी पता नहीं. पर कोरोना को दुनिया भर में फैलाने को लेकर कुछ देशों के बीच तकरार भी जारी है. तकरार इस बात पे कि इस कोरोना के पीछे असली साजिश किसकी थी?

नया और सबसे सनसनीखेज़ दावा

दुनिया पर इस वक्त कुदरत का कहर गालिब है और ज़ाहिर है ये वक्त कोरोना के गुनहगारों को ढूंढने से ज़्यादा कोरोना से बचने का है. मगर ये भी पता चलना ज़रुरी है कि कौन है वो जिसकी वजह से सब कुछ होते हुए भी पूरी दुनिया अचानक बेबस और लाचार नज़र आ रही है. क्यों और किसकी वजह से सड़कों पर कर्फ्यू है. दिलों में दहशत है और पूरी दुनिया में मौत का ये सन्नाटा पसरा है. हम पहले भी आपको बता चुके हैं कि कोरोना की असली हकीकत क्या है. कहां से ये आया और कौन इसे लाया. मगर बात अब और आगे बढ चुकी है. अब इसको फैलाने का शक चीन के साथ साथ अमेरिका पर भी है. इसलिए ज़रूरी है कि इसकी इनसाइड स्टोरी की पड़ताल हो. लिहाज़ा शुरुआत सबसे नए और सबसे सनसनीखेज़ दावे से.

क्या अमेरिका ने फैलाया कोरोना वायरस?

इसमें कोई शक नहीं कि जिस तेज़ी से आर्थिक और सामरिक तौर पर चीन पूरी दुनिया पर हावी होता जा रहा था. उससे अमेरिका घबराया हुआ था. उसे अपने सुपरपावर होने का खिताब खो देने का डर सता रहा था. और लगातार अमेरिका चीन से आमने सामने की ट्रेड वॉर कर रहा था. मगर जिस तरह चीन ने दुनिया के बाज़ार पर अपना दबदबा कायम किया उससे पार पा पाना अमेरिका के लिए भी नामुमकिन सा हो गया था. और फिर अचानक कोरोना का कहर आया और अचानक बुलेट की रफ्तार में भागने वाला चीन थम गया. हर तरफ लोग कोरोना की चपेट में आने लगे और देखते ही देखते पूरा का पूरा देश लॉक डाउन हो गया. चीन की तस्वीरों को देखकर आप अंदाज़ा लगा ही लीजिए कि पिछले करीब चार महीनों से ऐसे हालात से जूझ रहे चीन की अर्थव्यवस्था का क्या हश्र हुआ होगा.

अमेरिकी मिलिट्री पर संगीन इल्जाम

जो काम अमेरिका के सैंक्शन और सालों की कोशिश नहीं कर पाई. वो कोरोना के इस वायरस ने महज़ तीन महीने में कर दिया. अमेरिका पर शक़ जाना तो लाज़मी है. और ये शक़ इसलिए भी गहराता जा रहा है क्योंकि नवंबर में ये वायरस चीन में फैला और दिसंबर आते आते इसने अपना खौफनाक रुप दिखाना शुरु कर दिया. उससे महज़ एक महीने पहले उसी वुहान शहर में वर्ल्ड मिलिट्री स्पोर्ट्स यानी विश्व सैन्य खेल हुए थे. जिसे कोरोना वायरस का एपी सेंटर यानी केंद्र कहा जा रहा है. पिछले साल चीन में हुए इस वर्ल्ड मिलिट्री गेम्स में अमेरिका ने भी अपने सैनिक एथलीटों की लंबी चौड़ी टीम भेजी थी. ये इवेंट अक्टूबर में वुहान में ही हुए थे. जहां ये टीम ठहरी भी थी. वो जगह वुहान के सी-फूड मार्केट के पास ही है. इसलिए चीन की मीडिया में लंबे समय से ये कहा जा रहा है कि अमेरिकी मिलिट्री टीम ने चीन में इस वायरस को प्लांट किया.

क्या चीन में वायरस लेकर आई अमेरिकी सेना?

अगर आपको याद हो तो जब कोरोना का असर चीन में फैलना शुरु हुआ था. और डॉक्टर-वैज्ञानिक जब इसे चमगादड़ से फैली महामारी बता रहे थे. तब अमेरिका ही सबसे पहले सामने आया था, जिसने ये बात उठाई कि मुमकिन है कि ये वायरस चीन की वुहान लैब से फैला हो. और ये सब तब हुआ जब खुद चीन ये पता लगाना में जुटा था कि आखिर ये जानलेवा वायरस आया कहां से. तो सवाल ये है कि आखिर जो जवाब चीन ग्राउंड ज़ीरों पर होते हुए नहीं ढूंढ पाया वो हज़ारों किमी दूर से अमेरिका ने कैसे खोज लिया. इसी के बाद चीनी अधिकारियों की शक की नज़रें वुहान की फिश मार्केट के इर्द गिर्द घूमने के बजाए. अमेरिका पर भी घूमने लगीं और अब चीन ने दुनिया को हैरान करने वाला दावा किया है.

चीन के विदेश मंत्रालय ने ये दावा किया कि कोरोना वायरस का चीन से कोई लेना-देना ही नहीं है. बल्कि अमेरिका ने इसे पैदा किया और वुहान में इसे लाने के पीछे अमेरिकी सेना ने साज़िश रची. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने अमेरिका के सेंटर फॉर डिसीज कंट्रोल के डायरेक्टर रॉबर्ट रेडफील्ड का एक वीडियो ट्वीट किया है जिसमें वो स्वीकार कर रहे हैं कि फ्लू से कुछ अमेरिकी मरे थे लेकिन मौत के बाद पता चला कि वो कोरोना वायरस से संक्रमित थे. रेडफील्ड ने अमेरिकी संसद की समिति के सामने ये माना भी था.

क्या चीन को बर्बाद करने के लिए रची गई साज़िश?

अमेरिका सेंटर फॉर डिसीज कंट्रोल के डायरेक्टर रॉबर्ट रेडफील्ड का एक वीडियो सामने आया है. इस वीडियो के सामने आने के बाद चीन ने अमेरिका से सवाल किया कि वो बताए कि आखिर अमेरिका में कितने लोग संक्रमित हैं. किन अस्पतालों में भर्ती हैं. सबसे पहले कौन मरीज संक्रमित हुआ और इन सब आंकड़ों को सार्वजनिक भी किया जाना चाहिए. अमेरिका अगर बेदाग है तो वो सामने आए और उनके आरोपों पर सफाई दे. जिसमें उनका कहना है कि अमेरिकी सेना ही वुहान में कोरोना वायरस लेकर आई. चीन ने दावा कि रॉबर्ट रेडफील्ड ने हाउस ऑफ रिप्रजेंटेटिव के सामने ये माना है कि इन्फ्लुएंजा से होने वाली कुछ मौतों की असली वजह कोविड-19 थी. अमेरिका में इन्फ्लुएंजा के 3.4 करोड़ केस हुए है जिनमें 20,000 की मौत हो चुकी है. मगर अब तक अमेरिका ने ये साफ नहीं किया है कि इनमें से कितने मामले COVID-19 से जुड़े हैं.

अब तो दुनियाभर के जानकार भी दबे छिपे तरीके से ये मानने लगे हैं कि कोरोना वायरस एक गहरी साजिश का नतीजा हो सकता है. इंटरनेट पर दुनियाभर के कई अखबारों की ऑनलाइन साइट पर पिछले एक महीने से कोरोना को साजिश के तहत पैदा किए जाने की खबरें लगातार चल रही हैं. रूस में तो एक टीवी चैनल कोरोना को साज़िश बताने की खबरों से जुड़ी लगातार खबरें कर रहा है.. इसका दावा है कि कोरोना वायरस दरअसल यूरोप और अमेरिका की बड़ी दवा कंपनियों, सीआईए और अमेरिका की खुफिया एजेंसियों की मिलीजुली साजिश है. जिसे चीन की नहीं बल्कि जार्जिया में अमेरिका की एक सीक्रेट लैब में तैयार किया गया. जहां जैविक हथियार बनाने का काम हो रहा है और फिर वर्ल्ड मिलिट्री गेम्स के दौरान अमेरिकी सेना ने इसे फैलाया. मगर अभी इन दावों की हकीकत से धुंध का गुबार छटना बाकी है.