कृपया ध्यान दें कि हर प्रेगनेंसी अलग होती है और इसी तरह हर फेटल का विकास भी अलग होता है इसलिए अपनी स्टेज को बिल्कुल एग्ज़ॅक्ट ऐसा ना समझें, यह पंद्रह दिन उपर या पंद्रह दिन कम तक हो सकता है इसीलिए अपनी प्रेगनेंसी को पिनपायंट करने से पहले पंद्रह दिन का गेप ले के चलें ! आइडिली प्रेगनेंसी पहले दिन से आख़िरी मेन्स्ट्रुयल साइकल तक होती है लेकिन ओव्युलेशन तीसरे वीक मे होता है इसलिए हम प्रेगनेंसी का रिकॉर्ड तीसरे वीक से रखते हैं !
Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!पहला हफ्ता :आपकी मेन्स रूअल साइकिल की शुरूवात के लगभग 14 दिनों बाद ओवुलेशन के समय शुरू होता है । यह समय गर्भावस्थार के लिए एक अच्छी शुरूवात करने के लिए अच्छान होता है । आपको व्याययाम, फालिक एसिड के आहार और गहरे रंग के फल व सब्जि़यां खाना शुरू कर देना चाहिए । अब धूम्रपान व अल्कोाहल को ना कहने का समय आ गया है । अगर आप दवाएं ले रही हैं तो अपनी गायनाकालाजिस्टक से इस विषय में बातें करें ।
दूसरा हफ्ता :आपकी ओवरी से अण्डोंअ के बाहर आने का समय आ गया है। अगर आपको जुड़वा बच्चे होने की सम्भाओवना होगी तो इस समय दो अण्डे बाहर आते हैं या कुछ स्थिजतियों में तीन अण्डे बाहर आते हैं ।
तीसरा हफ़्ता- एक औरत तकरीबन तीन हफ्ते बाद अपनी आख़िरी मेन्स्ट्रुयल साइकल के पहले दिन ओव्युलेट करती है उसकी ओवरी से एक अंडा निकल कर फेलोपियन ट्यूब्स से होते हुए यूटरस मे चला जाता है अगर इंटरकोर्स ओव्युलेशन पीरियड मे किया जाए तो प्रेगनेंट होने के चान्स अधिक होते हैं इंटरकोर्स के दौरान आपके पार्टनर के शरीर से लाखों स्पर्म निकलते हैं लेकिन उनमे से कोई एक इस रेस को जीतता है और अंडे को फर्टिलाइज़ करता है इस दौरान बेबी एक सेल क्लस्टर होता है जो आने वाले दिनों मे गुणात्मक रूप मे बढ़ता है !
चौथा हफ़्ता- इस दौरान अधिकतर औरतें अपने शरीर मे कोई बदलाव महसूस नही करती हैं कुछ महिलाओं को इस समय टेस्ट बदलाव होने की शिकायत होती है अब फर्टिलाइज़्ड अंडा यूटरस तक पहुँच जाता है और तकरीबन बहत्तर घंटो के बाद यह अपने लिए यूटरस लिनिंग मे जगह बना लेता है यूटरस लिनिंग की रक्त कोशिकाएं अंडे को स्पर्श करती हैं और अंडा बढ़ने की शुरुआत कर देता है !
पाँचवा हफ़्ता- इस समय ज़्यादातर महिलाओं को लगने लगता है की वह प्रेगनेंट हैं क्योंकि इतने दिनों तक पीरियड्स ना होना इसका संकेत दे देता है साथ ही स्तनों पर सूजन तथा स्तन के आस पास के हिस्से पर ब्राउन दाग पड़ने से उसका रंग गहरा हो जाता है मूत्र करने मे ज़्यादा ज़ोर लगता है इस समय तक अंडा २० मिलीमीटर तक बढ़ चुका होता है और उसे एंब्रीयो कहते हैं अल्ट्रासाउंड की मदद से यह देखा जा सकता है अब बच्चे का दिमाग़ और स्पाइन बनने शुरू हो जाते हैं !
छटा हफ़्ता- इस हफ्ते के दौरान प्रेगनेंट महिलाओं को सुबह के समय उठने मे काफ़ी दिक्कत होती है और काफ़ी समय तक तबीयत नासाज़ रहती है यह भी हो सकता है कि इस तरह की फीलिंग वह पूरे दिन महसूस करें ! आपकी सूंघने की शक्ति कमज़ोर पड़ने लगती है यहाँ तक कि कुछ खुश्बुओं को सूंघने के लिए आपको काफ़ी ज़ोर लगाना पड़ता है इस समय अगर आपका डॉक्टर आपका वेजाइनल टेस्ट करे तो इस दौर मे उसका रंग गुलाबी से हल्का नीला हो जाता है इस अवस्था मे अगर यूरिन टेस्ट किया जाए तो प्रेगनेंसी को कन्फर्म किया जा सकता है अब तक अंडा लगभग एक मौसमी के आकर का हो चुका होता है अल्ट्रासाउंड से गौर से देखा जाए तो अबतक बच्चे का सिर तथा स्पाइन बन चुकी होती है साथ ही उसका चेहरा और जबड़ों का विकास शुरू हो चुका होता है !
सातवाँ हफ़्ता- प्रेगनेंसी हॉर्मोन्स एक महिला को कमज़ोर बना देते हैं साथ ही ब्रेस्ट मे भारीपन और सूजन महसूस होने लगती है प्रेग्नेन्सी कन्फर्म करने के लिए वेजाइनल टेस्ट किया जा सकता है अब तक बेबी की लिंब बड्स आ चुकी होती हैं जो उसके हाथ पैर बनने का संकेत देती हैं इस हफ्ते तक बच्चे का दिमाग़ तथा स्पाइन तकरीबन पूरी तरह तैयार हो चुकी होती है और बच्चा अब तक एक से तीन सेंटीमीटर तक बड़ा हो चुका होता है !
आठवाँ हफ़्ता- आठवे हफ्ते मे वेजाइनल डिसचार्ज बढ़ जाता है लेकिन यह बहुत ही सामान्य और दुर्गंध रहित होता है हालाँकि इस समय तक बच्चे की इंटर्नल ऑर्गन्स बन चुकी होती हैं लेकिन अभी उन्हे कम करने के लिए और विकास की आवश्यकता होती है बच्चे की आँखें और कान पूरी तरह विज़िबल हो जाते हैं और उसका चेहरा भी इंसानी शक्ल लेने लगता है, अबतक बच्चा दो से पाँच सेंटीमीटर तक लंबा हो चुका होता है !
नौवाँ हफ़्ता- नौवा हफ़्ता महिलाओं मे स्किन बदलाव के लिए जाना जाता है इस हफ्ते मे उनकी स्किन मे बदलाव आने शुरू हो जाते हैं काफ़ी महिलाओं के चेहरे पर इस समय ग्लो आ जाता है और तो और उनके उपर पड़े गहरे धब्बे भी हॉर्मोनल बदलाव के कारण गायब होने लगते हैं मसूड़े नर्म पड़ जाते हैं जिससे ब्लीडिंग भी हो सकती है इसीलिए दांतो की सफाई की बहुत आवश्यकता होती है, इससे बचने के लिए डेंटल क्लिनिक जाकर रेगुलर चेकअप कराए ताकि आप प्लॅक आदि बीमारियों से दूर रहें क्योंकि इससे गर्भ पर ग़लत असर पड सकता है इस समय बच्चे की कोहनी तथा उंगलियाँ बन चुकी होती हैं और वो कुछ एक्सार्साइज़ के लिए हिलना डुलना भी शुरू कर देता है लेकिन माँ को इसका एहसास नही होता क्योंकि बच्चे का वज़न इस समय केवल एक अंगूर के बराबर होता है !
दसवाँ हफ़्ता- इस समी तक यूटरस तेज़ी से बढ़ रहा होता है और तकरीबन एक संतरे के आकर का हो जाता है लेकिन अब भी यह दूसरों को विज़िबल नही होता है इसीलिए जितनी जल्दी हो सकें उतनी जल्दी ढीले कपड़े पहनना शुरू कर दें और अंडरगार्मेंट्स भी इस तरह के लें जिनसे आपको डिसकंफर्ट ना हो, अबतक बच्चे की उंगलियाँ साफ दिखने लगती है और उसकी कलाई तथा हथेली बनना शुरू हो जाती है, इस समय बच्चा चार से पाँच सेंटीमीटर तक बड़ा हो चुका होता है!
ग्यारहवा हफ़्ता- सुबह की सिकनेस अब जाने लगती है क्योंकि आप अपनी प्रेग्नेन्सी के तीन महीने पूरे करके अगली तिमाही मे कदम रख चुकी होती हैं, इस समय मे अगर आप अपने आने वाले बच्चे के जन्म से सम्बन्धित तथा उसकी डिलीवरी से सम्बन्धित ज्ञान लें ताकि आप फ्यूचर मे होने वाले लेबर पेन तथा डिलीवरी से सम्बन्धित समस्याओं से लड़ने के लिए पहले ही तैयार रहें, अपने पार्ट्नर को भी अपनी प्रेगनेंसी मे इन्वॉल्व करना भी एक अच्छा आइडिया है इससे वो आपसे बेहतर तरीके से कनेक्ट हो पाएँगे ! अब तक बच्चे की सेक्स ऑर्गन्स टेस्टिकल्स या ओवरीज बन चुकी होती है जिससे बच्चे के लिंग का पता लगाया जा सकता है लेकिन हमारे देश मे बच्चे के लिंग का गर्भ मे पता लगाना क़ानूनी अपराध है और यह एक जुर्म माना जाता है अब तक लगभग बच्चे की सभी बड़ी ऑर्गन्स बन चुकी होती हैं और और अब वह यूटरस मे रहकर बढ़ती रहती हैं !
तेरहवा हफ़्ता- इस हफ्ते मे आपकी मॉर्निंग सिकनेस बीती बात हो जाती है और आपको भूख दोबारा से लगने लगती है इसी अवस्था मे आप अपनी प्रेगनेंसी को एंजाय करती हैं क्योंकि प्रेगनेंसी की दूसरी तिमाही माताओं के लिए ज़्यादा कंफर्टबल तथा एंजॉयबल होती है तेज़ी से बढ़ता हुआ यूटरस जल्दी ही अपनी जगह पेल्विक कॅविटी मे बना लेता है इस समय तक बच्चा पूरा बन चुका होता है और देखने पर उसका बिल्कुल नन्हा सा प्रतीत होता है लेकिन इसे ज़िंदा रहने के लिए अभी भी माँ के यूटरस की आवश्यकता होती है क्योंकि अभी यह खुद को सपोर्ट नही कर पाता !
चौदहवाँ हफ़्ता- इस हफ्ते मे माताओं की थकान दूर होने लगती है और वो ज़्यादा एक्टिव महसूस करती हैं हो सकता है ऐसे मे आप थोड़ी पेरेंटल एक्सार्साइज़ करना चाहें जिससे आपकी मसल्स लेबर तथा डिलीवरी के लिए टोन अप होती हैं साथ ही आपको अकड़न और दर्द से आराम देती हैं इसी दौरान कुछ महिलों के पेट पर एक गहरी लाइन डवलप हो जाती है जो पेट से लेकर नीचे की ओर जाती है जिसे लीनीया निग्रा कहते हैं यह हॉर्मोनल बदलावों के कारण होता है और बच्चे के जन्म के बाद यह अपने आप गायब हो जाती है इस समय तक बच्चे की आइब्रो बननी शुरू हो जाती हैं और उसके सिर पर बाल भी उगने शुरू हो जाते हैं आप डॉक्टर के यहाँ जाकर अपना डॉप्लर स्केन करवा कर बच्चे की हार्ट बीट भी सुन सकते हैं अब बचा आम्नियोटिक फ्लूईड निगल भी सकता है और वह मूत्र भी कर सकता है इस दौर मे बच्चे का आकार लगभग नौ सेंटीमीटर तक हो जाता है !
पंद्रहवाँ हफ़्ता – इस हफ्ते मे आपको ढीले कपड़े खरीद लेने चाहिए क्योंकि इस हफ्ते मे अपने पुराने कपड़ो मे फिट नही हो पातीं, साथ ही आपके शरीर मे रक्त का संचार बढ़ जाता है और आपका दिल आपके शाईर को बीस प्रतिशत ज़्यादा रक्त पहुँचाता है इस समय तक बच्चे के बाल उगने शुरू हो जाते हैं और मेलनिन अंडर प्रोडक्शन मे होता है !
सोलहवां हफ़्ता- अगर आप डॉक्टर के जाएँगे तो इस बार आप अल्ट्रासाउंड मे अपने बच्चे को पहली बार पूरा देख सकते हैं बच्चे के पूरे शरीर पर हल्के हल्के रूये उगने लगते हैं और उसके हाथ के तथा पैरों के नाख़ून भी पूरी तरह डवलप हो जाते हैं वह अब सोलह सेंटीमीटर तक लंबा हो चुका होता है और उसका वज़न 135 ग्राम हो जाता है !
सत्रहवाँ हफ़्ता- इस हफ्ते मे आपके शरीर मे फ्लूईड की मात्रा बढ़ जाती है और आप ज़्यादा गर्म महसूस करती हैं और आपको ज़्यादा पसीना भी आता हैं कई महिलाओं को सर्दी की शिकायत रहती है क्योंकि इस अवस्था मे वो सर्दी खाँसी होने की रिस्क के ज़्यादा करीब होती हैं सर्दी को दूर करने के लिए कोशिश करें की ज़्यादा से ज़्यादा तरल पदार्थ लें या फिर आप नोज ड्रॉप्स का भी इस्तेमाल कर सकती हैं इस समय तक यूटरस आपकी नाभि तथा पबिस बोन के बीच मे आधा आ चुका होता है !
अट्ठारवाँ हफ़्ता- इस हफ्ते आप अपनी प्रेग्नेन्सी के जादुई पल महसूस कर सकती हैं जो आकृति आपने अपने बच्चे की अल्ट्रासाउंड मे देखी थी अब वह उससे ज़्यादा रियल प्रतीत होने लगता है ऐसी अवस्था मे आपको गैस या फिर इनडाइजेशन की शिकायत हो सकती है इस हाल मे बच्चा काफ़ी अधिक एक्टिव रहता है अल्ट्रासाउंड के दौरान आप उसकी हरकतें देख सकते हैं मसलन कॉर्ड पकड़ना या अंगूठा चूसना आदि इस समय तक बच्चे की लंबाई बीस सेंटीमीटर तक हो चुकी होती है !
उन्नीसवां हफ़्ता- इस हफ्ते मे आप पाएँगी की आपका वज़न आपके पेट के आस-पास तथा आपके बटक्स पर बढ़ रहा होता है वहीं बच्चे के मसूड़े भी डवलप होने लगते हैं !
बीसवां हफ़्ता- इस समय बच्चा ज़्यादा एक्टिव होता है और कभी कभी आप उसे हिलने की हरकतें अपने पेट के हिलने से महसूस कर सकती हैं इस समय यूटरस टमी को धकेल कर फेफड़ों की तरफ करने लगता है वहीं बच्चे की स्किन पर प्रोटेक्टिव शील्ड बनने लगती है इस समय मे बच्चे की लंबाई लगभग पच्चीस सेंटीमीटर होती है !
इक्कीसवां हफ़्ता- हो सकता है कि कुछ महिलाओं को इस समय हार्ट बर्न या एसिडिटी की तकलीफ़ हो क्योंकि यूटरस टमी को उपर की ओर धकेलटा है ! खाना थोड़ा थोड़ा खायें और अपने डॉक्टर से अंतासिद देने को कहें ! कुछ लोगों का मानना है की हार्टबर्न बच्चे के सिर पर उगे बालों के कारण होता है लेकिन ये बिल्कुल ग़लत है क्योंकि बच्चा अभी भी छोटा होता है और यूटरस के फ्लूईड मे घूम सकता है !
बाइसवां हफ़्ता- अगर आपका डेंटल डॉक्टर से कोई अपोइनमेंट है तो उसे ज़रूर दिखा लें क्योंकि इस अवस्था मे आपके मसूड़ों मे सूजन आ सकती है और ब्लीडिंग भी हो सकती है इस हफ्ते से बच्चे के सोने और उठने की एक साइकल बन जाती है जो डिलीवरी के कुछ हफ्तों बाद भी जारी रहती है आमतौर पर जा आप रेस्ट कर रही होती हैं तो आपका बेबी उठा होता है और जब आप जाग रही होती हैं तो वह पूरे दिन सोता रहता है यही कारण है कि बच्चे रात को ज़्यादा एक्टिव होते हैं !
तेईसवां हफ़्ता- इस दौरान आपकी डॉक्टर विज़िट मे आपका डॉक्टर आपके गर्भ मे पल रहे बच्चे का चेकअप कर सकता है क्योंकि अब बच्चा ज़्यादा हरकतें करने लगता है इस समय उसके बॉडी पार्ट्स को महसूस किया जा सकता है बच्चा इतनी तेज़ी से बढ़ता है कि यूटरिन भी खिंच जाती है जो माँ के लिए दर्दनाक हो सकता है ध्यान रहे जितना हो सके उतना ज़्यादा तरल पदार्थ लें जिससे कि फ्लूईड बनता रहे !
चौबीसवां हफ़्ता- यूटरस का आगे का हिस्सा जिसे फंडस कहते हैं अब नाभि तक पहुँच जाता है इस समय बच्चा लगभग बत्तीस सेंटीमीटर लंबा होता है और उसका वज़न पाँचसो ग्राम होता है लगभग सभी वाइटल ऑर्गन्स डवलप हो चुकी होती हैं लेकिन फेफड़े अभी पूरी तरह से मेच्योर नही होते जिस कारण बच्चे का यूटरस से बाहर रहना मुस्किल पड़ने लगता है !
पच्चीसवां हफ़्ता- हो सकता है कि इस हफ्ते मे आपको अपनी टाँगों मे दर्द तथा अकड़न महसूस हो, इसकी जानकारी अपने डॉक्टर तथा इन्स्ट्रक्टर को ज़रूर दें ताकि वो इससे छुटकारा पाने के लिए आप को एक्सार्साइज़ बता सके, बच्चा आपके ब्लॅडर को भी प्रेस कर सकता है जिससे आपको मूत्र बार बार आने की शिकायत हो सकती है, वहीं दूसरी ओर बच्चे की हड्डियाँ भी सख़्त होनी शुरू हो जाती हैं !
छब्बीसवां हफ़्ता- अभी तक बच्चे की स्किन पेपर तीन होती है और अब वह मोटी होनी शुरू हो जाती है !
सत्ताईसवां हफ़्ता- प्रेगनेंसी के इस दौर मे आपका बढ़ा हुआ वेट दिखने लगता है तथा कोई भी उसे नोटिस कर सकता है इसीलिए आप खुद अपनी केलरीज पर नज़र रखिए ताकि आपका वेट ज़्यादा ना बढ़े, इसीलिए किसी स्पेशलिस्ट से कन्सल्ट करें ताकि आपके बच्चे को भी नरिशमेंट मिलता रहे और आप भी ज़्यादा वेट गेन ना करें फ्लूईड मे रहते रहते बेबी की स्किन पर रिंक्ल पड़ने लगते हैं !
अट्ठाइसवां हफ़्ता- इस हफ्ते के दौरान आपके ब्रेस्ट मे से कोलूस्ट्रम निकलता है लेकिन कोलूस्ट्रम के निकालने या ना निकालने से माँ के दूध के अमाउंट का नही पता लगाया जा सकता है अब आपको हर दूसरे हफ्ते डॉक्टर के पास जाना होगा जिसमे डॉक्टर आपका ब्लड चेक करेगा और अगर आपकी रिपोर्ट मे आर एच नेगेटिव आता है तो आपको डॉक्टर एंटीबॉडी चेक करने कि सलाह देगा ! ऐसे मे पैदा होने वाले बच्चों के बचने के ज़्यादा चान्स होते हैं क्यो की इस वक़्त तक बच्चा 38 सेमी लंबा और 900 ग्राम भारी हो चुका होता है !
उनत्तीसवां हफ़्ता- इस समय यूटरस अब्डोमन का तकरीबन हिस्सा घेर लेता है और इंटर्नल ऑर्गन्स को धकेलने लगता है जिससे पेट तथा आँतों पर बहुत प्रेशर पड़ता है !
तीसवां हफ़्ता- इस समय यूटरस बड़ा तथा भारी होने लगता है और आपके सेंटर ऑफ ग्रॅविटी को डिस्टर्ब करके आपका बेलेन्स बिगाड़ सकता है इसीलिए कंफर्टेबल पोस्चर अपनायें ताकि आप कमर दर्द से भी बची रहें, ध्यान रहे ज़्यादा रोशनी वाली जगह या ज़्यादा तेज़ ध्वनि वाली जगह ना जायें क्योंकि अब बच्चा ऐसी चीज़ों पर रिएक्ट करने लगता है !
इकत्तीसवां हफ़्ता- यूटरस के बढ़ने के कारण हो सकता है आपको साँस लेने मे तकलीफ़ हो ख़ासकर सीधी चढ़ते समय लगातार बातें करते समय आदि, लेकिन घबराईए नही भले ही आपको साँस लेने मे मुश्किल हो रही हो लेकिन आपके बच्चे के पास ऑक्सीजन पूरी तरह पहुँचता है इस समय बच्चे का वज़न 1800 ग्राम हो चुका होता है !
बत्तीसवां हफ़्ता- जब भी आप डॉक्टर के जाएँगी वो हमेशा आपको बच्चे की पोज़िशन, हार्ट रेट और ग्रोथ के बारे मे बताएगा, बच्चे के पैदा होने के लिए हेड डाउन पोज़िशन का पता करना काफ़ी महत्वपूर्ण है क्योंकि यह पोज़िशन ही जन्म के लिए आइडीयल है इस समय बच्चा बयालीस सेंटीमीटर लंबा हो चुका होता है !
तेंतिस्वा हफ़्ता- इस हफ्ते तक बच्चा किक मारने की तरह अपनी लातें चलाने लगता है क्योंकि यूटरस अब उसके लिए छोटा पड़ने लगता है अब तक बेबी को हेड डाउन वाली पोज़िशन ले लेनी चाहिए जिसे वह डिलीवरी के समय तक मेनटेन रखें ! !
चौतीसवां हफ़्ता- इस समय आपकी पेरेंटियाल क्लास मे आपको लेबर पेन तथा डिलीवरी के समय आने वाली दिक्कतों के बारे मे बताया जाता है ताकि आप भी अपनी डिलीवरी के लिए पहले से ही तैयार रहें साथ ही उस अवस्था मे कंफर्टेबल पोस्चर्स के बारे मे जानकारी दी जाती है ! इस समय तक आपके बच्चे की स्किन गहरी पिंक रंग की हो चुकी होती है !
पेंतिसवां हफ़्ता- हो सकता है इस समय मे आपको कमर दर्द की शिकायत हो क्यों की आपकी कमर की कोशिकाएं आगे होने वाले लेबर पेन के लिए तैयार होती हैं इस समय तक बच्चा चोवालीस सेंटीमीटर लंबा हो गया होता है !
छतीसवां हफ़्ता – अब से आपका डॉक्टर आपको हर हफ्ते उससे मिलने की सलाह देगा, वहीं बच्चे का सिर अब पूरी तरह से पेल्विक कॅविटी के बीच होता है जिस कारण वो हिल तक नही सकता है इसी कारण अब आपका अप्पर अब्डोमन हल्का फील करता है मगर लोवर अब्डोमन पर प्रेशर बढ़ जाता है , इसी कारण आपको बार बार मूत्र करने जाना पड़ता है, अप्पर अब्डोमन पर प्रेशर कम होने के कारण आपकी भूख भी लौट आती है ! बच्चा अब बाहर आने के लिए पूरी तरह तैयार होता है और तकरीबन उन्नचास सेंटीमीटर लंबा होता है !
सेतीसवां हफ़्ता – हो सके तो एक बार अस्पताल का एक चक्कर लगा आयें या फिर डिलीवरी रूम देख लें ताकि आप बिना डरे पहले से अपना माइंड मेकप कर सकें, फेफड़ों के बंद हो जाने के कारण कभी कभी सांस लेने की कोशिश मे हो सकता है बच्चा हिचकियाँ ले जिससे आपके अब्डोमन पर झटके लग सकते हैं !
अड़तीसवां हफ़्ता -पहले के मुक़ाबले बड़ा हो जाने के कारण अब बेबी कम हिल पाता है और उसकी बॉडी अब पूरी तरह बढ चुकी होती है इसीलिए उसकी हर हरकत का माँ को पता लगता रहता है बच्चे का सिर वेजाइना के आंद्रूणई हिस्से मे हिलने से माँ के वेजाइनल शेत्र मे अजीब सी सेन्सेशन होती है जो शायद ही उसने पहले कभी महसूस की हो, इस समय बच्चा बहुत तेज़ी से बढ़ रहा होता है और एक दिन मे पच्चीस ग्राम तक वेट गेन कर सकता है !
उनतालीसवां हफ़्ता- आपका शरीर लेबर के लिए तैयारी करने लगता है और डिलीवरी की की तैयारी मे सर्विक्स नर्म पड़ने लगती है शरीर मे अमीनो फ्लिदस की मात्रा अब घटने लगती है !
चालीस हफ्ते- आपकी ड्यू डेट आते ही आपको चिंता और पहले कभी ना महसूस की जाने वाली घबराहट होने लगती है जल्दी ही लेबर शुरु हो जाता है और आप एक नयी ज़िंदगी को इस खूबसूरत दुनिया का हिस्सा बना देती हैं !