Shared News | Updated Fri, 24 Aug 2018 11:17 AM IST
Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी सरकार को बड़ी राहत देते हुए पंचायत चुनाव नतीजों पर लगी रोक को हटा लिया है। कोर्ट के इस फैसले के बाद 34 प्रतिशत सीटों पर अब चुनाव नहीं होंगे। कोर्ट का कहना है कि जिन्हें भी चुनाव नतीजों से दिक्कत है वह संबंधित अदालत में 30 दिनों के अंदर याचिका दायर कर सकते हैं। मई में हुए पंचायत चुनाव की 20,178 सीटों पर तृणमूल कांग्रेस ने बिना लड़े ही चुनाव जीत लिया था।
यदि कोर्ट दोबारा चुनाव करने का आदेश दे देती तो यह राज्य सरकार के बड़ी शर्मिंदगी वाली बात साबित होती। इससे विपक्ष का यह आरोप साबित हो जाता कि तृणमूल ने पंचायत चुनाव के दौरान इतनी हिंसा और आतंकवादी रणनीति अपनाई थी कि किसी ने भी 20 हजार से ज्यादा सीटों के लिए नामांकन ही नहीं भरा। कोर्ट ने यह फैसला मई में बंगाल के राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा दायर एक विशेष अवकाश याचिका के जवाब में दिया है।
विपक्षी पार्टियां सीपीएम, भाजपा और कांग्रेस ने पंचायत चुनाव के खिलाफ कलकत्ता हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। उन्होंने कोर्ट से कहा था कि तृणमूल की कथित हिंसा और आतंकवादी रणनीति की वजह से उनके उम्मीदवार नामांकन नहीं भर पाए थे। उन्होंने यह भी बताया था कि तृणमूल के कार्यकर्ता नामांकन दाखिल करने वाले केंद्रों के बाहर हाथों में तलवार लिए मोटरसाइकिल रैली निकाल रहे थे। जिसकी वजह से भावी उम्मीदवार डर गए।
कलकत्ता हाईकोर्ट ने राज्य निर्वाचन विभाग से ऑनलाइन नामांकन पत्रों को स्वीकार करने के लिए कहा था जिसे आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। कोर्ट में सीपीएम और भाजपा ने बिना लड़े मिली जीत का मुद्दा उठाया था। सुप्रीम कोर्ट ने भी तृणमूल द्वारा बिना लड़े 34.35 प्रतिशत सीटें जीतने पर हैरानी जताई थी। इसके बाद कोर्ट ने ना केवल ऑनलाइन नामांकन पर बल्कि बिना चुनाव लड़े मिली जीत वाली सीटों के नतीजों को जारी करने पर भी रोक लगा थी।
पश्चिम बंगाल के पंचायत मंत्री सुब्रत मुखर्जी ने कहा कि उच्चतम न्यायालय का फैसला ऐतिहासिक है, विपक्षी दलों को राज्य के लोगों से माफी मांगनी चाहिए।