मोहन बागान फुटबॉल क्लब के झंडे में लपेटा गया सोमनाथ का पार्थिव शरीर, माकपा से नाराज परिवार

Football

लोकसभा के पूर्व अध्यक्ष सोमनाथ चटर्जी के पार्थिव शरीर को देश के सबसे पुराने फुटबॉल क्लब, मोहन बागान के झंडे में लपेटा गया है। सोमनाथ का नाता मोहन बागान फुटबॉल क्लब से लगभग आधी सदी तक रहा। माकपा से चल रही परिवार की नाराजगी का आलम यह है कि सोमनाथ चटर्जी के परिवार ने उनके पार्थिव शरीर को माकपा कार्यालय में रखने से भी इनकार कर दिया। परिवार का कहना है कि उन्हें 2008 में पार्टी से अपमानित कर निकाल दिया गया था। तब से वह माकपा के सदस्य भी नहीं थे। अब पार्टी को उनकी याद क्यों आ रही है।

Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!



बता दें कि चटर्जी के सम्मान में उनके पार्थिव शरीर को एसएसकेएम अस्पताल को दान कर दिया गया है। लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन भी उनके अंतिम दर्शन करते समय भावुक हो गईं। उन्होंने कहा कि सोमनाथ का उनके राजनीतिक जीवन में काफी योगदान रहा है। कई वामपंथी नेता मानते हैं कि 2008 में सोमनाथ चटर्जी को लोकसभा अध्यक्ष के पद से इस्तीफा देने का निर्देश पार्टी की ऐतिहासिक भूल थी। चटर्जी की मृत्यु के बाद यही भूल माकपा को परेशान कर रही है।



सोमनाथ के परिवार ने उनके आखिरी दर्शन और श्रद्धांजलि के लिए उनके पार्थिव शरीर को पार्टी कार्यालय के बजाय घर पर ही रखने का फैसला किया। हालांकि पार्टी चाहती थी कि उनको पार्टी दफ्तर पर ही श्रद्धांजलि दी जाए। जुलाई, 2008 में पार्टी के निर्देश के बाद भी लोकसभा अध्यक्ष के पद से इस्तीफा नहीं देने को अनुशासनहीनता मानते हुए प्रकाश करात की अध्यक्षता में केंद्रीय समिति ने चटर्जी को माकपा से निष्कासित कर दिया था।


हालांकि, करात के बाद माकपा के महासचिव बने सीताराम येचुरी ने उन्हें पार्टी में लाने की बहुत कोशिश की, लेकिन वह सफल नहीं हो सके। पार्टी की शर्त थी कि दोबारा सदस्यता के लिए चटर्जी आवेदन करें, लेकिन सोमनाथ इसके लिए तैयार नहीं थे। दिल्ली से कोलकाता रवाना होने से पहले येचुरी ने कहा कि उनके पार्थिव शरीर को घर पर रखने में पार्टी को कोई आपत्ति नहीं है। उन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए आने वाले विभिन्न दल के लोगों को हमारे दफ्तर आने में कुछ हिचकिचाहट होती। इसीलिए हमने उनका पार्थिव शरीर उनके घर पर ही रखने का फैसला किया है।


अनुभवी सांसद और प्रखर वक्ता
सोमनाथ चटर्जी की गिनती संसद के सबसे वरिष्ठ और अनुभवी सांसदों में होती थी। लगभग हर विषय पर उनका समान अधिकार था। वह संसद में हर विषय पर बोलते थे। उनकी यह आदत लोकसभा अध्यक्ष बनने के बाद भी बनी रही। कई बार वह सत्ता पक्ष और विपक्ष के नेताओं से ज्यादा बोलते थे।



विकास के प्रयास
पश्चिम बंगाल औद्योगिक विकास निगम के अध्यक्ष रहे चटर्जी ने राज्य की छवि बदलने की बहुत कोशिश की। उन्होंने दंगों और हिंसा को बढ़ावा देने के लिए पहचानी जाने वाली पार्टी की छवि खत्म कर माकपा को सामाजिक और राजनीतिक सरोकारों वाली पार्टी बनाने का अथक प्रयास किया था।