उत्तराखंड पुलिस ने कुछ समय पहले महिलाओं को आत्मरक्षा से जुड़े गुर सिखाए। किरन देवली के अलावा जूडो से जुड़ी दूसरी महिला खिलाडिय़ों के वीडियो बनाए गए।
Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!ये कहानी है देहरादून की उस खास महिला की जो महिला-छात्राओं को फिट रखने में अहम भूमिका निभा रही है। इस दिशा में किरन नेगी देवली अहम इसके लिए कई दिनों से इस खास मुहिम को अंजाम दे रही हैं। उत्तराखंड पुलिस में जूडो कोच और रेफरी की भूमिका निभा रही किरन अब तक दून में 400 से अधिक छात्राओं व महिलाओं को आत्मरक्षा के मद्देनजर मार्शल आर्ट की विधा जूडो में पारंगत कर चुकी हैं।
वह पुलिस विभाग में भी जवानों को प्रशिक्षण देती हैं और जब भी समय मिलता है, महिलाओं को आत्मरक्षा के गुर सीखने को न सिर्फ जागरूक करती हैं बल्कि उन्हें सिखाती भी हैं। वह कहती हैं कि महिला सुरक्षा आज के दौर में अपने आप में एक बहुत बड़ा विषय है। इस समस्या के निदान के लिए सिस्टम के साथ समाज और खासकर महिलाओं को शिद्दत के साथ आगे आना होगा।
जूडो को ही बनाया करियर
मूल रूप से पौड़ी जिले के व्यासचट्टी कांडी गांव की रहने वाली किरन नेगी देवली की शिक्षा चंडीगढ़ में हुई। मार्शल आर्ट की नेशनल चैंपियन रही किरन ने महज 11 साल में छठी कक्षा से जूडो की प्रैक्टिस शुरू की। उन्होंने स्कूल, कॉलेज से लेकर ओपन खेलों में भी जूडो में सफलता का परचम लहराया।
2006 में किरन पहली बार प्रदेश में स्पोट् र्स कोटे से पुलिस में सिपाही के पद पर भर्ती हुई। तब से किरन न केवल पुलिस बल्कि आम महिलाओं को जूडो से आत्मरक्षा का प्रशिक्षण दे रही हैं। किरन अब तक स्कूल, कॉलेज में छात्राओं से लेकर नौकरी पेशा और गृहिणी- महिलाओं को आत्मरक्षा के गुर सिखा चुकी हैं।
Publish Date:Tue, 14 Aug 2018 11:44 AM (IST)
उत्तराखंड पुलिस ने कुछ समय पहले महिलाओं को आत्मरक्षा से जुड़े गुर सिखाए। किरन देवली के अलावा जूडो से जुड़ी दूसरी महिला खिलाडिय़ों के वीडियो बनाए गए।
ये कहानी है देहरादून की उस खास महिला की जो महिला-छात्राओं को फिट रखने में अहम भूमिका निभा रही है। इस दिशा में किरन नेगी देवली अहम इसके लिए कई दिनों से इस खास मुहिम को अंजाम दे रही हैं। उत्तराखंड पुलिस में जूडो कोच और रेफरी की भूमिका निभा रही किरन अब तक दून में 400 से अधिक छात्राओं व महिलाओं को आत्मरक्षा के मद्देनजर मार्शल आर्ट की विधा जूडो में पारंगत कर चुकी हैं।
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वह पुलिस विभाग में भी जवानों को प्रशिक्षण देती हैं और जब भी समय मिलता है, महिलाओं को आत्मरक्षा के गुर सीखने को न सिर्फ जागरूक करती हैं बल्कि उन्हें सिखाती भी हैं। वह कहती हैं कि महिला सुरक्षा आज के दौर में अपने आप में एक बहुत बड़ा विषय है। इस समस्या के निदान के लिए सिस्टम के साथ समाज और खासकर महिलाओं को शिद्दत के साथ आगे आना होगा।
जूडो को ही बनाया करियर
मूल रूप से पौड़ी जिले के व्यासचट्टी कांडी गांव की रहने वाली किरन नेगी देवली की शिक्षा चंडीगढ़ में हुई। मार्शल आर्ट की नेशनल चैंपियन रही किरन ने महज 11 साल में छठी कक्षा से जूडो की प्रैक्टिस शुरू की। उन्होंने स्कूल, कॉलेज से लेकर ओपन खेलों में भी जूडो में सफलता का परचम लहराया।
2006 में किरन पहली बार प्रदेश में स्पोट् र्स कोटे से पुलिस में सिपाही के पद पर भर्ती हुई। तब से किरन न केवल पुलिस बल्कि आम महिलाओं को जूडो से आत्मरक्षा का प्रशिक्षण दे रही हैं। किरन अब तक स्कूल, कॉलेज में छात्राओं से लेकर नौकरी पेशा और गृहिणी- महिलाओं को आत्मरक्षा के गुर सिखा चुकी हैं।
स्वयं की सुरक्षा बचाव अहम हथियार
किरन कहती हैं – महिला सुरक्षा को लेकर भले ही हमारे प्रदेश में स्थिति बेहतर हो पर स्वयं की स्वयं का बचाव बड़ा हथियार होता है। आजकल महिलाओं में असुरक्षा बढ़ती जा रही है। ऐसे में जूडो का प्रशिक्षण महिलाएं अपना बचाव बखूबी कर सकती हैं। हर महिला को रोजमर्रा के कार्यों से हटकर फिजिकल फिट रहने के लिए भी समय निकालना चाहिए, ताकि वह आत्मरक्षा के प्रति मजबूत हो सकें। इसके लिए हर महिला को जूडो जैसा प्रशिक्षण लेना जरूरी है।
पहले से ज्यादा गंभीर हैं महिलाएं
किरन कहती हैं कि पुलिस ड्यूटी के साथ जब भी वह महिलाओं के बीच जाती हैं तो महिलाओं को आत्मरक्षा को लेकर जागरूक करती हैं। हर क्षेत्र में महिलाएं अपने टैलेंट के साथ जिम्मेदारी निभा रही है। ऐसे में महिला सुरक्षा को लेकर भी पहले से ज्यादा गंभीर हो गई हैं। इसके लिए सिर्फ महिलाओं को मार्शल आर्ट से लेकर आत्मरक्षा से दूसरे गुर सीखने होंगे।
ऑनलाइन वीडियो से सीखें आत्मरक्षा के गुर
उत्तराखंड पुलिस ने कुछ समय पहले महिलाओं को आत्मरक्षा से जुड़े गुर सिखाए। इसके लिए किरन देवली के अलावा कराटे और जूड़ो से जुड़ी दूसरी महिला खिलाडिय़ों के वीडियो बनाए गए। यह वीडियो सोशल मीडिया और पुलिस के पेज पर शेयर किए गए हैं। किरन ने कहा कि सरल तरीके से आत्मरक्षा के गुर इसमें सिखाए गए हैं। कोई भी घर बैठे सीख सकता है।
स्टूडेंट के लिए रोल मॉडल किरन
किरन का कहना है कि वह हमेशा प्रशिक्षण के लिए फिट रहती हैं। यह हर कोच के लिए जरूरी है। उनका कहना है कि मैं फिट रहूंगी तो तभी मेरे स्टूडेंट भी फिट रहेंगे। ट्रेनिंग के दौरान किसी भी तरह का तनाव, आलस या सुस्ती नहीं रखनी चाहिए।
बेटी अमायरा भी चैंपियन
किरन की बेटी अभी नर्सरी में पढ़ती हैं। मगर, मां से जूडो की ट्रेनिंग लेती है। मां के साथ घर में खेल-खेल के साथ जूडो खेलती हैं। किरन बताती हैं कि अभी स्कूल में जूडो खेल में उनकी बेटी अमायरा ने अंडर-10 के 20 किग्रा वर्ग में चैम्पियनशिप जीती है।
घर का मिला है सहयोग
किरन के पिता मदन सिंह और माता द्वारिका नेगी का बचपन से बेटी को खेल में सहयोग मिलता था। पति अनूप देवली (पुलिस में फुटबॉल कोच कोच) भी किरन के खेल और करियर को लेकर कभी हस्तक्षेप नहीं करते हैं।
जूडो के ये हैं फायदे
आत्मरक्षा के लिहाज से मार्शल आर्ट की विधा जूडो बेहतर है। इसमें आप अकेले ही हमला करने वाले को सबक सिखा सकते हैं। खास कर राह चलते या किसी भीड़-भाड़ में यदि कोई छेड़छाड़ करता है, मारपीट करता या परेशान करता है तो आप जूडो की मदद से आत्मरक्षा कर सकते हैं। लाठी-डंडों या दूसरे हथियार से वार करने पर भी जमीन पर पटकनी, गतिहीन, वश में कर लेने या फिर ज्वाइंट लॉक कर समर्पण के लिए मजबूर कर सकते हैं। हाथ और पैर पर प्रहार और हथियारों से बचाव में भी जूडो से आत्मरक्षा कर सकते हैं।
अंतरराष्ट्रीय रेफरी पर किरन की निगाहें
किरन इन दिनों पुलिस लाइन में महिला और पुरुष सिपाहियों को जूडो की ट्रेनिंग दे रही है। जूडो से जुड़े जनपद, राज्य, राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय खेलों में भी किरन अहम भूमिका निभा रही हैं। किरन का कहना है कि जूडो में अच्छे खिलाड़ी तैयार करने के साथ ही उनका सपना अंतरराष्ट्रीय रेफरी बनने का है, ताकि अपने खेल का प्रदर्शन वह अंतरराष्ट्रीय मंच पर भी कर सके।
किरन की प्रमुख उपलब्धियां
– जूडो नेशनल चैंपियनशिप-2004
– जूडो नेशनल चैंपियनशिप-2005
– ऑल इंडिया पुलिस चैंपियनशिप-2006
– सीनियर नेशनल उत्तराखंड पुलिस-2008
– सीनियर नेशनल उत्तराखंड पुलिस-2009
– ऑल इंडिया पुलिस-2011
– ऑल इंडिया पुलिस-2012
– नेशनल रेफरी कोर्स 2010
– एनआइएस से जूडो का डिप्लोमा-2016