इस कानून में भगोड़ा आर्थिक अपराधी उस व्यक्ति को माना गया है, जो 100 करोड़ रुपये या उससे अधिक मूल्य के आर्थिक अपराध में शामिल हो और उसके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी हुआ हो।
Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!नई दिल्ली, प्रेट्र। बैंकों को चूना लगाकर देश से भागने वाले नीरव मोदी और विजय माल्या जैसों की अब खैर नहीं। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने भगोड़ा आर्थिक अपराधी कानून-2018 को मंजूरी दे दी है। इस विधेयक के माध्यम से इस तरह के अपराधियों पर भारत में कानूनी प्रक्रिया से बचने और देश से भागने पर रोक लगाने में मदद मिलेगी। राष्ट्रपति ने चेक बाउंस मामले की तेजी से जांच संबंधी कानून को भी मंजूरी दे दी है।
भगोड़ा आर्थिक अपराधी विधेयक, 2018 राज्यसभा से 25 जुलाई को पारित हुआ था। जबकि लोकसभा ने इस विधेयक को 19 जुलाई को मंजूरी दी थी। इस कानून के तहत न्यूनतम 100 करोड़ रुपये की सीमा को उचित ठहराते हुए वित्त मंत्री पीयूष गोयल ने हाल ही में संसद में कहा था कि इसका मूल मकसद बिना अदालतों में मामले बढ़ाए बड़े अपराधियों को पकड़ना है। उन्होंने यह भी कहा है कि जब्त संपत्तियों के साथ क्या करना है, इस पर भी हम काम कर रहे हैं।
क्या कहता है कानून
इस कानून में भगोड़ा आर्थिक अपराधी उस व्यक्ति को माना गया है, जो 100 करोड़ रुपये या उससे अधिक मूल्य के आर्थिक अपराध में शामिल हो और उसके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी हुआ हो। इतना ही नहीं वह अभियोजन से बचने के लिए देश छोड़कर भाग गया हो।
नए कानून के तहत प्राधिकृत विशेष अदालत को किसी व्यक्ति को भगोड़ा आर्थिक अपराधी घोषित करने और उसकी बेनामी तथा अन्य संपत्तियों को जब्त करने का अधिकार होगा। यह कानून कहता है, ‘जब्ती आदेश की तारीख से जब्त की गई सभी संपत्तियों का अधिकार केंद्र सरकार के पास रहेगा। कानून के तहत प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) जांच एजेंसी का काम करेगा।