आईएएनएस | Updated:Jun 30, 2018, 11:58AM IST
Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!पटना
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) की प्रवेश परीक्षा की तैयारी कराने के लिए देशभर में चर्चित संस्थान ‘सुपर-30’ के संस्थापक आनंद कुमार की प्रेरणा का अब असर दिखने लगा है। आनंद से प्रेरित ओडिशा के भुवनेश्वर के रहने वाले अजय बहादुर सिंह ‘सुपर-30’ की तर्ज पर गरीब और वंचित वर्ग के छात्रों को मेडिकल की प्रवेश परीक्षा में तैयारी कराने में जुटे हैं।
इस खबर के मीडिया में आने के बाद आनंद ने अजय बहादुर सिंह से फोन पर बात की और उन्हें साधुवाद दिया। आनंद ने अजय बहादुर सिंह द्वारा निर्धन बच्चों को मेडिकल कॉलेजों में दाखिले के लिए तैयारी कराने जैसे कार्य के लिए धन्यवाद देते हुए कहा कि अभी ऐसे कई ‘बहादुरों’ को इस देश की जरूरत है। उन्होंने कहा कि अभी आमतौर पर छात्रों में नौकरी पाने की प्रतियोगिता चल रही है लेकिन कोई भी शिक्षक नहीं बनना चाहता। उन्होंने कहा कि जब तक समाज में योग्य शिक्षक नहीं बनेंगे तब तक भारत के विश्वगुरु बनने का सपना साकार नहीं हो सकता। उन्होंने कहा, ‘अभी अजय बहादुर जैसे कई लोगों को इस देश की जरूरत है, तभी भारत के फिर से विश्वगुरु बनने का सपना पूरा हो सकता है।
गौरतलब है कि ‘सुपर-30’ जहां छात्रों को आईआईटी की प्रवेश परीक्षा की तैयारी कराने के लिए चर्चित है वहीं अजय बहादुर की संस्था ‘जिंदगी’ मेडिकल कॉलेजों में बच्चों के दाखिले की तैयारी करवाने में जुटी है। झारखंड के देवघर से जुड़े अजय बहादुर सिंह के ‘जिंदगी’ अभियान के तहत अभी तक कुल 18 बच्चों को मेडिकल कॉलेजों में दाखिला मिल चुका है। अजय द्वारा प्रतिवर्ष कुल 20 बच्चों को इस अभियान के तहत निशुल्क पढ़ाई उनके रहने व खाने-पीने का प्रबंध किया जा रहा है। समाज मे ‘जिंदगी’ के इस अहम योगदान को अब भुवनेश्वर समेत पूरे उड़ीसा में एक अनोखी पहचान मिल रही है।
इस बारे में स्वयं अजय फोन पर बताते हैं यह अनुभव शानदार है। ‘सुपर-30 के आनंद सर ने जो बिहार में प्रयास किया वह आज पूरी दुनिया में रंग ला रहा है। मैंने भी एक कोशिश की है। गरीब और समाज के आखिरी पंक्ति में रह रहे बच्चों को दुनिया की अग्रिम पंक्ति में लाने का सुख दुनिया की तमाम दौलत से कहीं बड़ा है। मैं और मेरी टीम पूरे मेहनत से समाज के वंचित वर्ग के होनहारों की जिंदगी तराशने के लिए लगातार काम करते रहेंगे।
गौरतलब है कि अजय का भी सपना डॉक्टर बनकर लोगों की सेवा करने का था लेकिन गरीबी ने उनके इस सपने को पूरा नहीं होने दिया। इसी कारण उन्होंने निर्धन बच्चों को डॉक्टर बनाने की ठानी और अब उनका सपना बच्चे पूरा कर रहे हैं।