Shared News | Last updated: Mon, 25 Jun 2018 01:38 PM IST
Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!दिल्ली हाईकोर्ट ने सोमवार को बड़ा फैसला सुनाते हुए 4 जुलाई तक 16500 पेड़ों के काटने पर रोक लगा दी है। नेशनल बिल्डिंग्स कन्स्ट्रक्शन कार्पोरेशन (एनबीसीसी) ने हाईकोर्ट में दक्षिण दिल्ली के पुनर्विकास के लिए चार जुलाई तक पेड़ ना काटने पर सहमति जताई है। हाईकोर्ट के पेड़ कटाई पर अंतरिम रोक लगाने की बात कहने के बाद एनबीसीसी ने यह बयान दिया। इस मामले में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) 2 जुलाई को सुनवाई करेगी।
बता दें कि दक्षिणी दिल्ली की सात बड़ी आवासीय परियोजनाओं के चलते यहां के करीब 16,500 पेड़ों को काटने की बात चल रही है। सरकारी कर्मचारियों को आवास उपलब्ध करवाने के लिए दक्षिणी दिल्ली में आवासीय परियोजनाएं तैयार की जाएंगी। इनके तहत सबसे ज्यादा पेड़ सरोजिनी नगर में काटे जाएंगे. बताया जा रहा है कि यहां के 13,128 पेड़ों में से 11,000 को परियोजना के लिए गिरा दिया जाएगा। इन परियोजनाओं को सरकारी कंपनी एनबीसीसी पूरा करेगी।
पेड़ों की कटाई के खिलाफ आंदोलन तेज
दक्षिणी दिल्ली स्थित सात सरकारी आवासीय कॉलोनियों के पुनर्विकास के नाम पर 16 हजार से ज्यादा पेड़ काटे जाने की योजना के विरोध में चिपको आंदोलन तेज होने लगा है।
दक्षिणी दिल्ली स्थित सरोजनी नगर पालिका चौराहे पर रविवार शाम स्थानीय लोगों से लेकर पर्यावरणविदों तक ने पेड़ों से चिपककर प्रदर्शन किया और पेड़ों को बचाने की अपील की। प्रदर्शन में विभिन्न संगठनों के साथ आम आदमी पार्टी के विधायक और कार्यकर्ता भी मौजूद रहे। रविवार शाम 5 बजे सरोजनी नगर पालिक चौराहे पर सैकड़ों लोग जमा हुए। इसमें ‘आप’ विधायक सौरभ भारद्वाज, अलका लांबा समेत अन्य कार्यकर्ता मौजूद थे। साथ ही ग्रीन सर्किल, निर्भया फाउंडेशन, इनवायरमेंट एंड सोशल डेवलपमेंट एसोसिएशन समेत अन्य संगठन के लोग भी मौजूद रहे।
लोगों का कहना था कि पुनर्विकास के नाम पर 16 हजार 500 पेड़ काटे जाने हैं। यह पर्यावरण के लिहाज से हानिकारक है। इससे दिल्ली में प्रदूषण की समस्या और बढ़ेगी।
आप विधायक अलका लांबा ने कहा कि दिल्ली में चिपको आंदोलन की शुरुआत हो चुकी है। सैकड़ों लोग आंदोलन के समर्थन में आ चुके हैं। पुनर्विकास के नाम पर पेड़ों को काटने नहीं दिया जाएगा।