अर्जुन अवार्डी कुश्ती कोच कृपाशंकर बिश्नोई की कलम से…. ग्रीको रोमन का जिम्मेदार कौन ?
Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!भारत में ज्यादातर कुश्ती दंगल मनी प्राइस प्रतियोगिताए या किसी भी उत्सव मेला हर जगह फ्रीस्टाइल कुश्ती को ही शामिल किया जाता रहा है फ्री स्टाइल कुश्ती को ही महत्व दिया जाता है भारत की जो परंपरागत कुश्ती है भारतीय शैली की कुश्ती उसमें भी ग्रीको रोमन स्टाइल को कोई स्थान नहीं दिया गया यहां तक कि भारत में बहुत बड़ी होने वाली प्रो रेस्लिंग लीग मैं भी ग्रीको रोमन को वह सम्मान और वह स्थान नहीं मिला है और सबसे महत्वपूर्ण बात तो यह है की जब बच्चा स्कूल में जाता है और कुश्ती खेल को अपना चाहता है तो स्कूल में सिर्फ फ्री स्टाइल कुश्ती को ही शामिल किया गया है ग्रीको रोमन कुश्ती के लिए स्कूल स्तर पर भी कोई प्रतियोगिताए नहीं होती रही है | SGFI के अंतर्गत स्कूल स्तर पर जितने भी आयोजन हुये है उसमे ग्रीको रोमन कुश्ती को कभी शामिल किया ही नहीं था | और ऑल इंडिया यूनिवर्सिटी में भी ग्रीको रोमन होता ही नहीं था अभी अभी विगत तीन-चार सालों से ऑल इंडिया यूनिवर्सिटी और स्कूल नेशनल में ग्रीको रोमन कुश्ती को शामिल किया गया है वह भी भारतीय कुश्ती संघ के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह जी के अथक प्रयासों से संभव हो सका अब हम इतनी जल्दी ग्रीको रोमन को अंतरराष्ट्रीय मंच पर पदक की उम्मीद करें तो बेमानी होगी अब जो नई पौध आ रही है जो नए बच्चे आ रहे हैं वह बचपन से ही ग्रीको रोमन कुश्ती कर रहे हैं क्योंकि उन्हें स्कूल लेवल पर ही ग्रीको रोमन कुश्ती खेलने का अनुभव प्राप्त हो रहा है आज जो भी भारतीय पहलवान ग्रीको रोमन विश्व कुश्ती चैंपियनशिप कजाकीस्थान में भारत की और से भाग ले रहे हैं उन पहलवानों को कभी भी स्कूल स्तर पर या ऑल इंडिया यूनिवर्सिटी स्तर पर ग्रीको रोमन कुश्ती नहीं खेलने को मिला क्योंकि उस दौरान उन प्रतियोगिताओं में ग्रीको रोमन कुश्ती को शामिल ही नहीं किया गया हमेशा से ग्रीको रोमन कुश्ती को भारतीयों ने सिर्फ नकारा है उसी का यह परिणाम है कि आज भारत के ग्रीको रोमन पहलवान विश्व कुश्ती चैम्पियनशिप जैसे बड़े मंच पर नाकाम रहे ।