वनस्पति तंत्र में कई ऐसी दुर्लभ वनस्पतियों का उल्लेख है जिनके विधिवत प्रयोग से व्यक्ति अपने दैनिक जीवन में लाभ प्राप्त कर सकता है। ऐसी ही कुछ वनस्पतियों की जानकारी हम आज आपको प्रदान करेंगे। ये वनस्पतियां हैं-
Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!1. श्वेतार्क मदार (सफेद अकाव)
सफेद अकाव की जड़ को यदि रविपुष्य या गुरुपुष्य नक्षत्र में चांदी के ताबीज में डालकर गले में धारण किया जाए तो यह शत्रु दमन में बहुत लाभकारी होती है। सफेद अकाव की जड़ को रविपुष्य या गुरुपुष्य नक्षत्र में सिन्दूर लगाकर अपने पूजा स्थान में रखकर नित्य पूजा करने से घर में सदैव सुख-समृद्धि बनी रहती है एवं घर संकटों से मुक्त रहता है। सफेद अकाव की जड़ में गणेशजी का वास माना गया है। सफेद अकाव को घर में लगाने से गणेशजी का आशीर्वाद बना रहता है एवं घर बाहरी बाधाओं से मुक्त रहता है।
2. गूलर
गूलर की जड़ को यदि रविपुष्य या गुरुपुष्य नक्षत्र में स्वर्ण के ताबीज में डालकर गले में धारण किया जाए, तो यह लक्ष्मी प्राप्ति में बहुत सहायक होती है। गूलर की जड़ को रविपुष्य या गुरुपुष्य नक्षत्र में अपने पूजा स्थान में रखकर नित्य पूजा करने से घर में सदैव लक्ष्मीजी की कृपा बनी रहती है एवं घर आर्थिक संकटों से मुक्त रहता है।
3. अशोक
अशोक के पेड़ के पत्ते को सिर पर धारण करने से कोर्ट-कचहरी के मुकदमे आदि में विजय प्राप्त होती है। अशोक का पेड़ जिस घर के मुख्य द्वार पर होता है उसमें रहने वाले व्यक्ति सदैव शत्रु बाधा से मुक्त रहते हैं।
4. चमेली
चमेली की जड़ को यदि रविपुष्य या गुरुपुष्य नक्षत्र में चांदी के ताबीज में डालकर गले में धारण किया जाए तो यह वशीकरण में सहायक होती है। चमेली की जड़ को यदि मुख में रखकर संवाद किया जाए तो यह शत्रु मुख स्तंभन में बहुत सहायक होती है। ऐसे व्यक्ति के समक्ष कोई भी प्रतिउत्तर नहीं कर पाता।
5. अपराजिता
अपराजिता की लता को घर के मुख्य द्वार पर वंदनवार (आर्च) की तरह लगाने से उसके नीचे से निकलने वाला व्यक्ति सदैव घर के मुखिया से प्रभावित रहता है। यह भी एक प्रकार से प्रबल वशीकरण के काम में आती है।
वनस्पति निकालने के लिए इन नियमों का रखें ध्यान :-
* जिन वनस्पतियों की जड़ को खोदकर निकालने का विधान है, उसमें कुछ विशेष नियमों का पालन करना आवश्यक है।
* वनस्पति निकालने से 1 दिन पूर्व उस वनस्पति को पीले चावल डालकर निमंत्रण दें और उसकी पंचोपचार विधि से पूजन करें।
* सदैव शुभ मुहूर्त या निर्दिष्ट मुहूर्त में ही वनस्पति या जड़ का उत्खनन करें।
* साफ एवं स्वच्छ स्थान की ही वनस्पति या जड़ निकालें।
* किसी मंदिर, मार्ग, श्मशान या अशुद्ध जगह से कोई वनस्पति या जड़ न निकालें।
* वनस्पति या जड़ निकालते समय ध्यान रखें कि पेड़ को कोई हानि न पहुंचे अत: बहुत ही कम मात्र में ही जड़ निकालें।
* जड़ निकालते समय लोहे की वस्तु का प्रयोग न करें, सदैव लकड़ी से ही जड़ का खनन करें।
* जड़ को निकाल लेने के उपरांत उसे जल से धोकर सदैव छाया में ही सुखाकर प्रयोग करें।