पदकों के लिहाज से भारत ने 2014 के एशियन गेम्स में अपने सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन की बराबरी की थी। चार साल पहले भारत ने कुल 57 पदक जीते थे जिसमें 11 स्वर्ण, शामिल थे।
Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!जकार्ता, [जागरण स्पेशल]। जोश से भरे युवा सितारों और कुछ अनुभवी सितारों की मौजूदगी के बीच भारत 18वें एशियन गेम्स में अपनी दावेदारी पेश करने के लिए तैयार है, लेकिन बावजूद इसके यह आयोजन भारतीय एथलीटों के लिए अग्निपरीक्षा से कम नहीं होगी।
चयन को लेकर कोर्ट तक पहुंचे मामलों और तमाम विवादों के बाद 804 सदस्यों का भारतीय दल इंडोनेशिया पहुंच चुका है जिसमें एथलीटों के अलावा अधिकारी भी शामिल हैं। हालांकि ऐसी समस्याएं भारतीय खेलों से कई दशकों से जुड़ी रही हैं। इन सब के बावजूद भारतीय एथलीटों को शनिवार से शुरू हो रहे एशियन गेम्स में नतीजों पर अपना ध्यान केंद्रीत करने की कोशिश करनी चाहिए।
गोल्ड कोस्ट कॉमनवेल्थ गेम्स में भारतीय दल ने अपना दूसरा सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया था लेकिन कोचों और एथलीटों को पहले से ही यह मालूम है कि एशियाड में परिस्थितियां अलग होंगी जहां चीन, जापान और कोरिया जैसे बेहद मजबूत देशों के एथलीट मौजूद होंगे। हालांकि इससे भारतीय एथलीटों के ना तो उत्साह और ना ही उम्मीद में कोई कमी आई है।
पदकों के लिहाज से भारत ने 2014 के एशियन गेम्स में अपने सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन की बराबरी की थी। चार साल पहले भारत ने कुल 57 पदक जीते थे जिसमें 11 स्वर्ण, शामिल थे। हालांकि इस बार 572 एथलीटों के दम पर उस प्रदर्शन को पीछे छोड़ने पर नजर गड़ाए बैठा है। खासतौर से पिछले कॉमनवेल्थ गेम्स के प्रदर्शन के बाद भारतीय दल से पदकों की आशा दोगुनी हो गई है।
उम्मीदों का भार
हरियाणा की 16 वर्षीय निशानेबाज मनु भाकर से लेकर संघर्ष कर रहे दिग्गज पहलवान सुशील कुमार तक और अपने लगातार अच्छे प्रदर्शन से नई ऊंचाई छूने वाले जेवलिन थ्रोअर नीरज चोपड़ा से पदकों की संभावना है। वहीं, विश्व चैंपियनशिप में भारत को पहली बार सुनहरी सफलता दिलाने वाली स्प्रिंटर हिमा दास भी पदक की बड़ी उम्मीद हैं। असम के एक किसान की बेटी हिमा देश के लिए पदक की बड़ी उम्मीद बन चुकी हैं जिनसे जकार्ता में पोडियम तक पहुंचने की उम्मीद की जा रही है।
एथलेटिक्स में सुनहरा इतिहास
एशियाड में भारत के एथलीटों ने हमेशा से ऐतिहासिक प्रदर्शन किया है। अब तक एथलेटिक्स में भारत ने कुल 284 पदक हासिल किए हैं जिसमें 74 स्वर्ण पदक शामिल हैं। इस बार भी भारतीय एथलीटों से कुछ वैसी ही प्रदर्शन की उम्मीदें होंगी।
बैडमिंटन में चलेगा एस फैक्टर
महिला बैडमिंटन में भारत को ओलंपिक की पदक विजेता पीवी सिंधू और साइना नेहवाल के अलावा पुरुषों में किदांबी श्रीकांत से उम्मीदें होंगी। सिंधू फाइनल की फिसलन को तोड़ने पर नजर गड़ाए बैठी हैं। लेकिन एक बार फिर उन्हें चीन, थाइलैंड और जापान के शटलरों से कड़ी चुनौती मिलेगी। साइना बड़े टूर्नामेंटों की खिलाड़ी हैं लेकिन देखना दिलचस्प होगा कि उनकी फिटनेस कैसे उनका साथ देती है। पुरुषों में श्रीकांत के अलावा एचएस प्रणय से पदक की उम्मीदें होंगी।
बजरंग व विनेश दिखाएंगे दम
कुश्ती में भारतीय दल से अच्छे प्रदर्शन की आशा की जा रही है। फॉर्म में चल रहे बजरंग पूनिया और विनेश फोगट भारत के पदक की उम्मीद को पूरा करते नजर आएंगे। पूनिया ने ना सिर्फ पिछले कॉमनवेल्थ गेम्स में स्वर्ण पदक जीता बल्कि तिब्लिसी ग्रां प्रि और यासर दोगु इंटरनेशनल में भी सुनहरी सफलता हासिल करके लौटे हैं। हालांकि, दोहरे ओलंपिक पदक धारी सुशील कुमार और रियो ओलंपिक की पदक विजेता साक्षी मलिक अपने सर्वश्रेष्ठ फॉर्म में नहीं हैं। तिब्लिसी ग्रां प्रि में सुशील चार साल बाद उतरे और अपना पहली ही बाउट हार गए, जबकि साक्षी यासर दोगु इंटरनेशनल टूर्नामेंट के पदक दौर में पहुंचने में नाकामयाब रहीं।
हॉकी में दावेदारी
पुरुष हॉकी में भारतीय टीम की नजर स्वर्ण पदक जीतकर 2020 टोक्यो ओलंपिक के लिए सीधे क्वालीफाई करने पर होगी। हाल ही में भारतीय टीम ने चैंपियंस ट्रॉफी में रजत पदक जीता था जहां उसे फाइनल में ऑस्ट्रेलिया से हार मिली थी। हाल ही में खत्म हुए महिला हॉकी विश्व कप में भारतीय टीम सेमीफाइनल में जगह बनाने से चूक गई, लेकिन रानी रामपाल की अगुआई वाली भारतीय टीम से इंचियोन में कांस्य पदक जीतने वाली टीम से बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद की जा रही है।
सुनहरे पंच का इंतजार
बॉक्सिंग एरीना में भी भारतीय मुक्केबाज पदक की मजबूत दावेदारी पेश करेंगे। विकास कृष्णन, शिव थापा और तेजी से उभर रहे गौरव सोलंकी पुरुषों में भारत की प्रमुख चुनौती पेश करेंगे जबकि महिलाओं में सरजूबाला देवी पदक की उम्मीद होंगी।
इनकी खलेगी कमी
हालांकि टेनिस में लिएंडर पेस के हटने से भारतीय चुनौती को झटका लगा है और भारतीय कप्तान जीशान अली को फिर से अपनी रणनीति तैयार करनी पड़ेगी। वहीं विश्व चैंपियन महिला भारोत्ताेलक मीराबाई चानू की कमी भी एशियन गेम्स में महसूस की जाएगी जो कि चोट की वजह से एशियन गेम्स में नहीं खेल पाएंगी। हालांकि महिलाओं में टेबल टेनिस स्टार मनिका बत्र और जिम्नास्ट दीपा कर्माकर पर निगाहें होंगी, जो कि चोट के बाद वापसी कर रही हैं।