सुप्रीम कोर्ट – व्याभिचार में पुरुष का साथ देने वाली महिला अपराध में बराबर की जिम्मेदार

General News Women & Child

दिल्ली, जेएनएन। सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार को व्याभिचार के लिए सिर्फ पुरुष को सज़ा देने वाली आईपीसी की धारा 497 पर सुनवाई हुई, जहां कोर्ट ने टिप्पणी किया कि शादी जैसी संस्था को बचाने और उसकी पवित्रता को बनाए रखने में दोनों पार्टनर बराबर जिम्मेदार होने चाहिए। अगर एक विवाहित महिला अपने पति के अलावा किसी दूसरे पुरुष के साथ संबंध बनाती है, तो ऐसे में केवल पुरुष को दंडित कैसे किया जा सकता है, जबकि महिला उस अपराध में बराबर की जिम्मेदार है।

Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!

कोर्ट ने आश्चर्य जताया कि कैसे संसद ने कानून में प्रावधान कर दिया कि अगर कोई विवाहित पुरुष किसी महिला के साथ उसके पति की मर्जी के बिना संबंध बनाता है, तो अपराध की श्रेणी में आएगा। कोर्ट ने कहा कि पति की इजाजत से महिला को दूसरे विवाहित पुरुष के साथ संबंध व्याभिचार को बढा़वा देता है। कोर्ट ने कहा कि कई मौकों पर देखा गया है कि महिला शादीशुदा होने के बावजूद पति से अलग रहती है। ऐसे में उसका किसी दूसरे पुरुष के साथ संबंध बनाना अपराध के दायरे में कैसे आ सकता है।


मामले में जस्टिस इंदू मल्होत्रा ने कहा कि धारा 497 के तहत पत्नी को पति की मर्जी से किसी दूसरे पुरुष के साथ संबंध बनाने को कानून छूट देना बकवास कानून है। क्या पत्नी के साथ एक संपत्ति की तरह बर्ताव किया जाना चाहिए। जस्टिस डीवाई चंद्रचूर्ण ने याचिकाकर्ता के खिलाफ तर्क देते हुए कहा कि धारा 497 शादी की पवित्रता का बचाव करती है। फिर भी अगर एक विवाहित पुरुष शादी से बाहर जाकर एक अविवाहित महिला के साथ संबंध बनाता है, जो कि इस कानून के दायरे में नहीं आता है। यह भी शादी की पवित्रता को बनाए रखने का काम करती है।


जस्टिस इंदू मल्होत्रा ने कहा कि भारत की पहली महिला जज जस्टिस अन्ना चंडी ने विवाहेत्तर संबंध को अपराध के दायरे में लाए जाने को लेकर लॉ कमीशन की रिपोर्ट पर आपत्ति जताई थी।जस्टिस अन्ना ने इस व्याभिचार की धारा को खत्म करने का प्रस्ताव दिया था। उन्होने बताया कि 42वें लॉ कमीशन की रिपोर्ट में पुरुष और महिला दोनों को दोषी बनाए जाने का प्रस्ताव दिया था।