दिल्ली के परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत के मुताबिक, कॉलेजों में 10 मिनट के कंप्यूटर बेस्ड एग्जाम को पास करने के बाद लर्निंग लाइसेंस मिल जाएगा।
Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!नई दिल्ली (जेएनएन)। छात्र-छात्राओं के लिए लर्निंग ड्राइविंग लाइसेंस की प्रक्रिया को आसान बनाने के मकसद से दिल्ली में सत्तासीन आम आदमी पार्टी (AAP) सरकार ने एक बड़ा फैसला लिया है। इसके तहत कॉलेजों के प्रिंसिपल और डायरेक्टर्स को अधिकृत किया जाएगा और वे छात्र-छात्राओं के लिए लर्निंग लाइसेंस प्रक्रिया को पूरी करवाने की जिम्मेदारी संभालेंगे।
दिल्ली के परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत के मुताबिक, अगले कुछ दिनों में यह योजना नोटिफाई हो जाएगी। दिल्ली विश्वविद्यालय और इंद्रप्रस्थ विश्वविद्यालय के साथ पॉलीटेक्निक व आइटीआइ को भी इसके दायरे में लाया जाएगा।
ऐसे में अगर दिल्ली सरकार का यह प्रयास रंग लाया तो लाखों छात्र-छात्राओं की मुश्किल आसान हो जाएगी। दिल्ली सरकार यह भी दावा कर रही है कि कॉलेजों में 10 मिनट के कंप्यूटर बेस्ड एग्जाम को पास करने के बाद लर्निंग लाइसेंस मिल जाएगा।
अब आरटीओ के नहीं लगाने पड़ेंगे चक्कर, सिर्फ 10 मिनट में यहां बनेगा लाइसेंस
दिल्ली के परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत के मुताबिक, कॉलेजों में 10 मिनट के कंप्यूटर बेस्ड एग्जाम को पास करने के बाद लर्निंग लाइसेंस मिल जाएगा।
नई दिल्ली (जेएनएन)। छात्र-छात्राओं के लिए लर्निंग ड्राइविंग लाइसेंस की प्रक्रिया को आसान बनाने के मकसद से दिल्ली में सत्तासीन आम आदमी पार्टी (AAP) सरकार ने एक बड़ा फैसला लिया है। इसके तहत कॉलेजों के प्रिंसिपल और डायरेक्टर्स को अधिकृत किया जाएगा और वे छात्र-छात्राओं के लिए लर्निंग लाइसेंस प्रक्रिया को पूरी करवाने की जिम्मेदारी संभालेंगे।
दिल्ली के परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत के मुताबिक, अगले कुछ दिनों में यह योजना नोटिफाई हो जाएगी। दिल्ली विश्वविद्यालय और इंद्रप्रस्थ विश्वविद्यालय के साथ पॉलीटेक्निक व आइटीआइ को भी इसके दायरे में लाया जाएगा।
ऐसे में अगर दिल्ली सरकार का यह प्रयास रंग लाया तो लाखों छात्र-छात्राओं की मुश्किल आसान हो जाएगी। दिल्ली सरकार यह भी दावा कर रही है कि कॉलेजों में 10 मिनट के कंप्यूटर बेस्ड एग्जाम को पास करने के बाद लर्निंग लाइसेंस मिल जाएगा।
दिल्ली सरकार के सूत्रों के मुताबिक, सभी स्टेट यूनिवर्सिटीज समेत दिल्ली विश्वविद्याल के तकरीबन 88 कॉलेजों में लर्निंग लाइसेंस बनाए जाने के बारे में एक योजना तैयार की गई है। बताया जा रहा है कि यह योजना डीयू के सभी कॉलेजों के लिए भी होगी और जो भी कॉलेज इस योजना से जुड़ना चाहेंगे, वहां पर ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट लर्निंग ड्राइविंग लाइसेंस बनाने के लिए सभी जरूरी इंतजाम करेगा।
लाखों छात्रों को होगा फायदा
दिल्ली में इंद्रप्रस्थ यूनिवर्सिटी के अलावा, दिल्ली विश्वविद्याल के कॉलेजों में छात्र-छात्राओं की संख्या लाखों में है। ऐसे में ये छात्र-छात्राएं अपने कॉलेजों में आसानी से लर्निंग लाइसेंस बनवा सकेंगे।
किनको मिलेगा फायदा
जानकारी के मुताबिक, दिल्ली सरकार की 7 यूनिवर्सिटी व कई संस्थानों के अलावा डीयू के 88 कॉलेज हैं, जिनमें छात्रों की संख्या दो लाख के करीब है। इतना ही नहीं, इंद्रप्रस्थ यूनिवर्सिटी सं संबंधित के करीब 34 संस्थान, 9 पॉलिटेक्निक व आइटीआइ भी हैं, जिन्हें इस योजना के दायरे में लाया जा रहा है।
यहां पर बता दें कि भारत का कोई भी निवासी जो मानसिक रूप से विक्षिप्त या गंभीर रूप से दिव्यांग न हों और उसकी उम्र 18 साल से कम न हो, वो वाहन चलाने के लिए डीएल बनवा सकता है। हालांकि, भारी वाहन चलाने के लिए उम्मीदवार की उम्र सीमा 21 साल है। देश के किसी भी जिले में संबंधित राज्य के ट्रांसपोर्ट विभाग द्वारा जारी किया गया डीएल पूरे देश में वाहन चलाने के लिए मान्य होता है, लेकिन डीएल बनवाने के लिए उम्मीदवार को संबंधित जिले में स्थायी निवास का प्रमाण पत्र पेश करना होता है।
कैसे बनवाएं ड्राइविंग लाइसेंस?
अलग अलग तरह के वाहनों के आधार पर डीएल कई कैटेगरी वाले होते हैं। बिना गियर वाले टू व्हीलर वाहन के लिए डीएल, गियर वाले टू व्हीलर वाहन के लिए डीएल, जीप या कार जैसे हल्के फोर व्हीलर चलाने के लिए LMV डीएल, लाइट ट्रांसपोर्ट व्हीकल डीएल और हेवी गुड्स व्हीकल डीएल। जिले के RTO ऑफिस द्वारा जारी डीएल कई तरह के बनाए जाते हैं। पुराने पेपर डीएल के अलावा आजकल प्लास्टिक डीएल और कहीं कहीं स्मार्ट कार्ड जैसे डीएल भी जारी किए जाते हैं।
डीएल बनवाने का तरीका
RTO द्वारा किसी भी व्यक्ित को सबसे पहले लर्निंग लाइसेंस जारी किया जाता है, जो बनने की डेट से 6 महीने तक वैलिड रहता है, लेकिन कैंडीडेट लर्निंग डीएल बनने के एक महीने बाद परमानेंट डीएल बनवा सकता है। ध्यान रहे कि अगर किसी व्यक्ित से लर्निंग लाइसेंस बनने के 6 महीने के भीतर परमानेंट डीएल नहीं बनवाया तो लर्निंग लाइसेंस एक्सपायर हो जाएगा। फिर उम्मीदवार को डीएल के लिए दोबारा लर्निंग लाइसेंस बनवाना पड़ेगा। इसलिए लर्निंग लाइसेंस की एक्सपायरी डेट का ख्याल रखें।
कैसे बनेगा लर्निंग लाइसेंस
सबसे पहले बनने वाले लर्निंग लाइसेंस को बनवाने के लिए आपको अपने जिले के RTO ऑफिस एक फॉर्म भरना होगा। इस फॉर्म में 4 पासपोर्ट साइज फोटोग्राफ लगाने के अलावा इसके साथ डेट ऑफ बर्थ, आईडी और एड्रेस प्रूफ के डाक्यूमेंट्स की फोटोकॉपी भी अटैच करनी होगी। आईडी और ऐड्रेस प्रूफ के वेरिफिकेशन के लिए आपको ओरिजिनल डॉक्यूमेंट्स साथ रखने होंगे। RTO ऑफिस में संबंधित अधिकारी आपके फॉर्म को चेक करने के बाद आपसे लर्निंग लाइसेंस के लिए निर्धारित फीस जमा करेगा। इसके बाद आपको एक रिटेन टेस्ट के लिए भेजेगा। अलग अलग राज्यों में लिए जाने वाले लर्निंग लाइसेंस के इस टेस्ट में 10 से लेकर 20 तक ऑब्जेक्टिव क्वेचन पूछे जाते हैं। रोड ट्रैफिक रूल्स से जुड़े कॉमन सेंस वाले इन सवालों के सही जवाब के सामने आपको टिक मार्क करना होता है। इस टेस्ट पेपर में 60 परसेंट सवालों का सही जवाब देने पर आप क्वालीफाई हो जाएंगे। ये टेस्ट पेपर पास करने के अगले 7 दिनो के भीतर आपका लर्निंग लाइसेंस स्पीड पोस्ट या रजिस्टर्ड पोस्ट से आपके घर पहुंच जाएगा।
लाइसेंस बनवाने के लिए ये डॉक्यूमेंट्स होंगे जरूरी
1- रेजिडेंस प्रूफ जैसे – वोटर आईडी कार्ड, आधार कार्ड, पासपोर्ट, बिजली या टेलीफोन का बिल, हाउस टैक्स की रसीद, राशन कार्ड, सरकारी कर्मचारियों को जारी किए गए ऐड्रेस युक्त आईडी कार्ड, तहसील या डीएम ऑफिस से जारी किया निवास प्रमाण पत्र आदि
2- एज प्रूफ जैसे – बर्थ सर्टिफिकेट, हाईस्कूल/ 10वीं की मार्कशीट या सर्टिफिकेट, पैन कार्ड, सीजीएचएस कार्ड या मजिस्ट्रेट के सामने डेट ऑफ बर्थ का एफिडेविट
3- आईडी प्रूफ जैसे – पैन कार्ड, वोटर आईडी कार्ड, आधार कार्ड, पासपोर्ट, राशन कार्ड आदि
4- पासपोर्ट साइज के चार कलर फोटो
5- खुद का पता लिखा खाली रजिस्टर्ड लिफाफा
6- फिजिकल फिटनेस का सेल्फ डिक्लरेशन