चीन ने हाल ही में अपने पहले हायपरसोनिक (ध्वनि से तेज रफ्तार वाले) विमान शिंगकॉन्ग-2 या स्टारी स्काय-2 का सफल परीक्षण किया है।
Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। खुद को महाशक्ति के रूप में स्थापित करने के लिए चीन हर संभव प्रयास कर रहा है। सैन्य क्षमता में बढ़ावा करने से लेकर वन बेल्ट वन रोड परियोजना चीन की इसी महत्वाकांक्षा की बानगी है। अब चीन ने एक नई उपलब्धि हासिल कर ली है, जो उसके पड़ोसी देशों के लिए खतरनाक साबित हो सकती है।
चीन ने हाल ही में अपने पहले हाइपरसोनिक (ध्वनि से तेज रफ्तार वाले) विमान शिंगकॉन्ग-2 या स्टारी स्काय-2 का सफल परीक्षण किया है। चाइना एकेडमी ऑफ एयरोस्पेस एयरोडायनेमिक्स ने चाइना एयरोस्पेस साइंस एंड टेक्नोलॉजी कारपोरेशन का डिजायन किया यह विमान परमाणु हथियार ले जाने और दुनिया की किसी भी मिसाइल विरोधी रक्षा प्रणाली को भेदने में सक्षम है। हालांकि सेना में शामिल होने से पहले इसके कई परीक्षण किए जाएंगे। अमेरिका और रूस भी हाइपरसोनिक विमान का परीक्षण कर चुके हैं। भारत में फिलहाल हायपरसोनिक मिसाइल प्रणाली पर काम चल रहा है।
चीन की तेज चाल
इस साल चीन ने रक्षा के क्षेत्र में शोध और अनुसंधान में 175 अरब डॉलर का निवेश किया है। वह अमेरिका, रूस और यूरोपीय संघ के समकक्ष आने का पुरजोर प्रयास कर रहा है।
कहां खड़े हैं हम
भारत ने इस साल ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल का परीक्षण किया है। मौजूदा समय में ये मिसाइल मैक 2.8 ध्वनि रफ्तार पर यात्रा कर रही है। पांच सालों में इसकी रफ्तार मैक 3.5 से मैक 5 तक पहुंच जाएगी।
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इसे एक रॉकेट के जरिए आसमान में लांच किया गया। इसे 10 मिनट बाद हवा में छोड़ा गया। यह स्वतंत्र रूप से उड़ता और हवा में कलाबाजियां भी दिखाईं। इसके बाद यह पूर्व निर्धारित क्षेत्र में आकर लैंड हुआ।
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घातक विमान
इस विमान को किसी भी रॉकेट के जरिए लांच किया जा सकता है। यह पारंपरिक व परमाणु दोनों तरह के हथियार ले जाने में सक्षम है। इस परीक्षण के बाद रूस और अमेरिका से बराबरी से मुकाबला कर रहा है। सेना में शामिल किए जाने के अलावा यह सार्वजनिक सेवा में भी इस्तेमाल किया जा सकता है।
भारत को हाइपरसोनिक
मिसाइल सिस्टम बनाने के लिए सात से दस साल और लगेंगे। अन्य देशों के लिए चुनौती दुनियाभर के देशों के पास जो मौजूदा मिसाइल रोधी रक्षा प्रणाली है वह धीमी रफ्तार से चलने वाली क्रूज और बैलिस्टिक मिसाइलों का आसानी पता लगा सकती है। लिहाजा इन्हें रोका जा सकता है। लेकिन हाइपरसोनिक विमान की तेज रफ्तार के चलते इसका पता लगाना ही अपने आप में बड़ी चुनौती है। ऐसे में इसे रोकना नामुमकिन हो सकता है।
क्या है मैक
जिस माध्यम में विमान उड़ रहा है उसमें विमान की गति से ध्वनि की गति के अनुपात को मैक नंबर कहा जाता है।
कमाल की तकनीक
यह दुनिया का दूसरा सफल वेवराइडर विमान है। पहला विमान अमेरिका का बोइंग एक्स-51 है जिसके कई परीक्षण हो चुके हैं। वेवराइडर ऐसे विमान होते हैं
जो अपनी हाइपरसोनिक उड़ान के दौरान पैदा होने वाली शॉकवेव की मदद से अत्यधिक रफ्तार में भी हवा में तैरता है।