सुरक्षा महकमे के तमाम बड़े नामों ने कश्मीर घाटी में आतंकियों के खात्मे के लिए बनाई है 4 डी नीति . इस 4 डी नीति पर अमल कर सुरक्षा एजेंसियां घाटी से आतंक के नासूर को खत्म करने में जूट गई हैं.
Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!| Updated: 23 Jun 2018 08:30 PM
नई दिल्लीः राज्यपाल शासन लगते ही मोदी सरकार ने जम्मू कश्मीर में सुरक्षा एजेंसियों को आतंवादियों और पत्थरबाज़ों से अपने तरीके से निपटने की छूट दे दी है. राज्यपाल एनएन वोहरा की मदद के लिए एक ऐसी अनुभवी टीम बनी जो सुरक्षा एजेंसियों के लिए सटीक रणनीति बनाने में माहिर है. इनमें शामिल है एक नाम के विजय कुमार का जिन्होंने ऑपेरशन कोकून चला कर चंदन तस्कर वीरप्पन के खात्मे से नाम कमाया था. वहीँ केंद्र में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोवाल और सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत लगातार सुरक्षा बलों के ऑपेरशन की रणनीति तय कर रहे है.
सुरक्षा महकमे के तमाम बड़े नामों ने कश्मीर घाटी में आतंकियों के खात्मे के लिए बनाई है 4 डी नीति . इस 4 डी नीति पर अमल कर सुरक्षा एजेंसियां घाटी से आतंक के नासूर को खत्म करने में जूट गई हैं.
एबीपी न्यूज़ ने ऑपेरशन के नेतृत्व करने में जुटे सुरक्षा अधिकारी से इस 4डी नीति को विस्तार से बताने को कहा तो अफसर का जवाब था ‘पहला डी है डिफेंड यानि सुरक्षा बलों के कैम्प, सरकारी प्रतिष्ठानों के पुख्ता सुरक्षा इन्तज़ाम करना. दूसरा डी है डिस्ट्रॉय यानि सुरक्षा बल आतंकियों और उनके ठिकानों और गोला बारूद को बर्बाद करना. तीसरा डी है डिफीट यानि सुरक्षा एजेंसियां अलगाववादी विचारधारा को पनपने से रोकते हुए देशविरोधी ताक़तों को नेस्तनाबूद करने का काम करेंगी. चौथा डी होगा डिनाई, यानि युवाओं को पत्थरबाज़ी और आतंकी गुट में शामिल होने से रोकना. और इसके लिए सरकार बेरोज़गार युवाओं के रोज़गार के लिए अभियान चलाएगी.’
गृह मंत्रालय में कश्मीर विभाग से जुड़े अफसर का कहना है कि ‘4डी नीति जुमला नहीं बल्कि कश्मीर जैसे हालात से निपटने के लिए सही नीति है लेकिन इसकी सफलता इस बात पर निर्भर करेगी कि कितनी शिद्दत से इस पर अमल होता है.’ गृह मंत्रालय के आकलन के मुताबिक भले ही राज्यपाल शासन लगाने के फैसले पर सवाल उठ रहे हैं. लेकिन कश्मीर की जनता ने राज्यपाल शासन लगने को सही कदम बताया है. वहीं राज्य के विपक्षी दलों ने भी इस फैसले के सराहना की है.
इस 4डी नीति पर अमल शुरू हो चुका है और सुरक्षा बलों और खुफिया एजेंसियों के तालमेल से आतंक के खात्मे के अभियान की शुरुआत हो गई है. इसी नीति के तहत सरकार अब हुर्रियत नेताओं को किसी भी विरोध प्रदर्शन में शामिल होने की इजाज़त नहीं देगी. पत्थरबाज़ों की सरपरस्ती करने वाले यासीन मलिक, हुर्रियत नेताओं सैयद अली शाह गिलानी और मीरवाइज उमर फारूक के घाटी में मूवमेंट पर पाबंदी लगाने का फैसला किया गया है उन्हें घर मे ही नज़रबंद कर दिया गया है.
4डी नीति के तहत ही महबूबा सरकार के फैसले के उलट पत्थबाज़ों से कोई रियायत ना करने का फैसला किया गया है. अगर कोई पहली बार पत्थरबाज़ी में शामिल होता है तो उस पर भी मुक़दमा चलेगा, और जिन 11 हज़ार युवाओं पर से महबूबा सरकार ने मामला हटाया था उसकी भी समीक्षा होगी.
गृह मंत्रालय के अफसर का कहना है कि कश्मीर घाटी में अगले 3 महीने में मोदी सरकार के 4डी नीति की परीक्षा होगी. ये नई कितनी कारगर होगी इसके जवाब के लिए तब तक इंतज़ार करना होगा.